himalayan highways| Ratgaon Full Of Natural Beauty| UTTARAKHAND| CHAMOLI| THARALI|

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हिमालयन हाइवेज आज आपका स्वागत करता है भेंकलनाग देवता के आशीष से फलते-फूलते गांव रतगांव में। विस्तारित क्षेत्रफल के साथ दो राजस्व ग्राम अपने में समेटे रतगांव का इतिहास भेंकलनाग देवता के साथ आगे बढ़ा है। रतगांव में स्थानीय लोग होली का त्यौहार नही मनाते है और न ही इस गांव में देव डोलियों का आगमन होता है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर रतगांव की वन सीमा में भेंकलताल और ब्रह्मताल जैसे रमणीक स्थल है साथ ही प्राकृतिक संपदा का अथाह खजाना। आइये जानते है रतगांव के इतिहास को वर्तमान की नजर से साथ ही आपको बताएंगे कि आखिर रतगांव में होलिका दहन क्यों नही होता।

भेंकलनाग के गांव रतगांव को रत्नों का गांव भी कहा जाता है। उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में स्थित थराली तहशील के सोल पट्टी का यह गांव काफी विस्तारित क्षेत्रफल में फैला हुआ है। रतगांव में दो राजस्व ग्राम शामिल है जिनमें एक दर्जन से आथिक आबादी वाले क्षेत्र शामिल है। बुग्यालों से लगे रतगांव में मौसम ज्यादातर सर्द ही रहता है लिहाजा यहां भारी तादात में आलू, चौलाई जैसी फसलें होती है। कृषि और पशुपालन स्थानीय लोगों का मुख्य व्यवसाय है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर रतगांव में तालगेर का मैदान अनोखी छटा बिखेरता है साथ ही यह मैदान यहां आयोजित होने वाले त्यौहारों ओर मेलों का भी गवाह बनता आया है।

भेंकलनाग देवता के आशीष से निरन्तर आगे बढ़ते रतगांव का इतिहास नाग देवता से ही शुरू होता है। भेंकलताल में नाग देवता का निवास बताया जाता है जिसकी एक धारा तालगेर के मैदान में भी निकलती है। स्थनीय लोगों के पास बुजुर्गो के सुनाए कई किस्से है जो भेंकलनाग देवता से जुड़े है।

रतगांव को नाग देवता की जमीन कहा जाता है लिहाजा यहां सदियो से जो धार्मिक मान्यताएं निभाई जा रही है वो आज भी जारी है। नाग भूमि होने के चलते यहां रंगों के इस्तेमाल की इजाजत नही है लिहाजा रतगांव में होली का आयोजन नही किया जाता है और न ही होलिका दहन होता है। गांव में देव डोलियां भी नही आती है। बुजुर्गो के मुताबिक नाग देवता से जुड़ी हर धार्मिक मान्यता आज भी प्रासंगिक है लिहाजा इनका उल्लंघन करने की इजाजत किसी को नही है।

सुदूर हिमालयी क्षेत्रों की तरह रोजगार और पलायन यहां भी चिंता का विषय है। रतगांव उन गांवो की सूची में शामिल है जहां सड़क मार्ग से जुड़ने के लिए लोगों ने काफी संघर्स किया है। सड़क मार्ग से देरी से जुड़ने के चलते रतगांव पर्यटको की पसंद से दूर ही रहा। भेंकलताल और ब्रह्मताल के लिए रतगांव से रास्ता जाता है और यह ट्रेक पर्यटको के लिए काफी रोमांच भरा हो सकता है। रतगांव को पर्यटन नक्शे पर लाने की कोशिश स्थनीय लोग कर रहे है ताकि गांव में रोजगार भी पैदा किया जा सकें।

थराली से सड़क मार्ग से आसानी से अब रतगांव पहुंचा जा सकता है। सड़क से जुड़ने के बाद स्थानीय लोगों को भी बड़ी राहत मिली है। बदलते समय के साथ रतगांव में अब उच्च शिक्षा के लिए इंटर कालेज की स्थापना हुई है साथ ही बिजली संचार जैसी सुविधाएं भी यहां मौजूद है।

भेंकलनाग देवता के आशीष से रतगांव लगातार अपना सफर तय कर रहा है। पर्यटन की अपार संभवनाएं समेटे रतगांव को आवश्यकता है पर्यटन नक्शे पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की। धार्मिक रीति रिवाजों के साथ आधुनिकता का सफर तय कर रहें भेंकलनाग देवता के इस गांव से आज इतना ही।

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