HIMALAYAN HIGHWAYS| Beautiful hill village Mal-Bajwad| UTTARAKHAND| CHAMOLI| THARALI| MALIYAL DEVTA

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नमस्कार हिमालयन हाइवेज के एक ओर खास एपिसोड में आपका स्वागत है। पिछले एपिसोड में हमने आपको मलियाल देवता से जुड़ी जानकारियां और धार्मिक आस्था दिखाई थी । आज के एपिसोड में हम एक बार फिर आपके लिए लेकर आये है मलियाल देवता के 07 गांवो में से एक माल बज्वाड का सफर। मलियाल थोक के इस गांव में धार्मिक आस्था, पारम्परिक रीति-रिवाज, सांस्कृतिक विरासत सब कुछ नजर आता है। आज के इस एपिसोड में हम आपको माल बज्वाड की ऐतिहासिक विरासत से रूबरू करवाएंगे साथ ही आधुनिकता के साथ कैसे सामंजस्य बैठा रहें है स्थानीय लोग ये भी दिखाएंगें
आबादी के लिहाज से मलियाल थोक के सबसे बड़े गांवों में शामिल माल बज्वाड हिमालयी गांवों के आदर्श रूप को साकार करता है। मलियाल देवता के आशीष के साथ नैनी माता मंदिर, लाटू देवता और रूप दाणू देवता जिस जमीन पर विराजते हो भला उस गांव में धार्मिक परम्पराओं का जुड़ाव तो मजबूत होना लाजिमी है। माल गांव में बधाण की इष्टदेवी नन्दा देवी का मंदिर भी स्थित है जिसका अपना धार्मिक महत्त्व है। माल बज्वाड के इतिहास और यहां आबादी की बसावट को लेकर स्थानीय लोगों के पास जो जनकारी है वो अन्य हिमालयी गांवो की तरह बुजुर्गो से मिली है।
माल बज्वाड गांव में हिमालयन हाइवेज की टीम की मुलाकात सबसे पहले स्थनीय किसान कलम सिंह से हुई। अपनी कठिन मेहनत और इच्छाशक्ति के बल पर खुद के लिए रोजागार जुटा रहें किसान कलम सिंह की यह यात्रा कई लोगों के लिए प्रेरणा है। शुरुआती दिक्कतों के वावजूद अपने कार्य मे जुटे कलम सिंह आज हर साल खेती के कार्य से अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा कर रहे है। माल बज्वाड गांव में समय समय पर ऐतिहासिक और धार्मिक परम्पराओं को मिलजुल कर निभाया जाता है। गांव में पांडव लीला, रामलीला ओर अन्य धार्मिक आयोजन किये जाते है। आयोजनों में स्थानीय महिला पुरुषों की भागीदारी होती है साथ ही अतीत से चली आ रही संस्कृति से युवा पीढ़ी को भी रूबरू करवाया जाता है। रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में यहां के स्थनीय लोग शहरों में रहते है लेकिन गांवों से उनका रिश्ता और भी ज्यादा मजबूत नजर आता है। गांव में निजी या सार्वजनिक आयोजनों में सभी ग्रामवासियो की भागीदारी उत्तराखण्ड की गौरवशाली संस्कृति की पहचान है और यह पहचान अब भी हिमालयी गांवो में जिंदा है।
प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर मलियाल थोक के गांव माल बज्वाड के इस सफर में हम इसके वन्य क्षेत्र में भी गए। गांव से जंगल के रास्ते लम्बा सफर तय करने के बाद हम स्थनीय लोगों के साथ छन उडियारी के लिए रवाना हुए। घने जंगलों के बीच से छन उडियारी पहुंचने के बाद सबसे पहले हम आपको दिखाते है विश्म्भरी गंगा में मौजूद महादेव। पानी की जलधारा के बीच मौजूद महादेव की हर साल यहां पूजा होती है। यही पर मौजूद है छन उडियारी जहां मान्यता है कि यहां पत्थर की बड़ी शिला पर पांच पांडवो में से एक भीम के मुक्कों के निशान मौजूद है।
प्राकृतिक सुंदरता और रीति रिवाजों के साथ आगे बढ़ रहे माल बज्वाड का यह सफर निरन्तर जारी है। हिमालयन हाइवेज के आज के इस एपिसोड में इतना ही आपको हमारा यह एपिसोड कैसा लगा कृपया कमेंट कर जरूर बताएं।
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