पं.रामकिंकरजी महाराज : प्रवृत्ति और निवृत्ति मार्ग Ramkinkarji Maharaj : Pravritti aur Nivriti Marg

Описание к видео पं.रामकिंकरजी महाराज : प्रवृत्ति और निवृत्ति मार्ग Ramkinkarji Maharaj : Pravritti aur Nivriti Marg

भगवद्भक्ति की प्राप्ति के लिए प्रवृत्ति मार्ग और निवृत्ति मार्ग दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। कोई एक मार्ग दूसरे से श्रेष्ठ या निकृष्ट नहीं कहा जा सकता। प्रवृत्ति मार्ग अर्थात गृहस्थ आश्रम को स्वीकार कर सामाजिक संबंधों का निर्वाह करते हुए जीवन व्यतीत करना एवं निवृत्ति मार्ग अर्थात सांसारिक जीवन का त्याग कर आजीवन ब्रह्मचारी अथवा संन्यास आश्रम में रहकर जीवन व्यतीत करना। निवृत्ति मार्ग पर कतिपय व्यक्ति ही चल सकते हैं, जिनकी मानसिक स्थिति उस स्तर पर पहुंच गई है जहां उनके मन में सांसारिक सुखों जैसे धन, यश, शक्ति, समृद्धि, परिवार आदि के प्रति कोई आकर्षण नहीं रह गया है और भगवद्भक्ति की साधना ही उसका एकमात्र कर्म है । वहीं प्रवृत्ति मार्ग सुगम और सरल है। लेकिन इसमें भी भगवद्भक्ति प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने भीतर से अहंता और ममता का त्याग कर दें और संपूर्ण संसार को ईश्वर का ही रूप समझकर केवल सेवा भावना से सारे कर्तव्य कर्म करते हुए जीवन व्यतीत करें और भगवद्भक्ति की ओर अग्रसर हों।

Комментарии

Информация по комментариям в разработке