तेरो लाल मेरी माखन खायो | सूरदास के पद | SURDAS KE PAD

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तेरो लाल मेरी माखन खायो | सूरदास के पद | SURDAS KE PAD
बालक-कृष्ण की दधि-चोरी की बाललीला का वर्णन
“तेरो लाल मेरी माखन खायो।
दुपहर दिवस जानि घर सूनी, ढूंढि ढँढोरि जाय ही आयो।
खोल किवार सून मँदिर में, दूध, दही सब माखन खबायो।
छींकै काढ़ि खाट चढ़ मोहन, कछु खायो कछु लै ढरकायो।
लै दिन प्रति हानि होत गोरस की, यह ढोटा कौन रंग लायो।
सूरदास कहति ब्रजनारि, पूत अनोखो जायो।”

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