Trial of Criminal Cases, आपराधिक मुकदमों का विचारण

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आपराधिक विचारण, दंड प्रक्रिया संहिता, 1 9 73 द्वारा शासित है। इसमें तीन बुनियादी चरण हैं, जैसे कि - अन्वेषण (जहां साक्ष्य एकत्र किए जाने हैं), जांच (एक न्यायिक कार्यवाही जहां न्यायाधीश मुकदमा चलाने से पहले खुद के लिए सुनिश्चित करता है, कि व्यक्ति को अभियुक्त मानने के लिए उचित आधार हैं) और विचारण ।

शब्द 'विचारण (Trial )' को दंड प्रक्रिया संहिता में परिभाषित नहीं किया गया है, हालांकि सामान्य रूप से कहा जा सकता है कि - विचरण एक न्यायिक कार्यवाही है जहां साक्ष्य के परीक्षण द्वारा मामले का निर्णय किया जाता है , और किसी व्यक्ति को अपराध के लिए दोषी या निर्दोष करार किया जाता है। परंतु विचरण में किसी व्यक्ति को उन्मोचित ( Discharge ) नही किया जा सकता । विचारण में अपील और पुनरीक्षण शामिल है।

विचारण कब शुरू होता है ?
विचारण आरोप तय किये जाने पश्चात प्रारंभ होता है।
० सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय मामलों में विचारण धारा 228 में अभियुक्त के विरुद्ध आरोप विरचित करने के पश्चात प्रारंभ होता है।
० मजिस्ट्रेट द्वारा पुलिस रिपोर्ट द्वारा संस्थित वारंट केस के विचारणीय मामलों में विचारण धारा 240 में अभियुक्त के विरुद्ध आरोप विरचित करने के पश्चात प्रारंभ होता है।
० मजिस्ट्रेट द्वारा पुलिस रिपोर्ट से अन्यथा संस्थित वारंट केस के विचारणीय मामलों में विचारण धारा 246 में अभियुक्त के विरुद्ध आरोप विरचित करने के पश्चात प्रारंभ होता है।
० मजिस्ट्रेट द्वारा सम्मन मामलों में विचारण धारा 251 में आरोप का सारांश अभियुक्त को सुनाए जाने के पश्चात प्रारंभ होता है।

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