पत्रिका के चतुर्थ भाव में राहु का फल शुभ या अशुभ- आचार्य वासुदेव(ज्योतिषाचार्य)

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हरे कृष्णा इस श्रृंखला में मैं राहु के चतुर्थ भाव में क्या फल होते हैं उसके विषय में आपको समझाने का प्रयास किया है राहु वैदिक ज्योतिष में एक अशुभ ग्रह होते हैं और राहु का प्रभाव आपके जीवन में अचानक से देखने में आता है राहु अचानक से होने वाली घटनाओं के कारक हैं राहु मानसिक तनाव डिप्रेशन अवसाद हिस्टीरिया और हाइपरसेंसटिविटी के कारक भी होते हैं। देवताओं की सभा में बैठकर राहु ने अमृत का पान किया था जिसकी वजह से राहु को अमर होने का वरदान प्राप्त है प्रभु श्री हरि ने राहु के मस्तिष्क को काट दिया था जिससे नीचे का भाग केतु बना और ऊपर का भाग राहु बना अतः इसका अर्थ है कि राहु जरूरत से ज्यादा मस्तिष्क लगाने का प्रयास करता है और केतु के पास मस्तिष्क नहीं होता राहु को इच्छाओं से जोड़कर देखा जाता है राहु कभी भी तृप्त न होने वाला ग्रह है इसकी इच्छाएं दिन पर दिन बढ़ती जाती हैं और अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए यह किसी भी हद तक किसी कार्य को सिद्ध करने का कार्य कर सकता है यदि आपकी पत्रिका में राहु अशुभ स्थिति में है तो यह आपको शॉर्टकट तरीके से भी धन कमाने के लिए प्रेरित कर सकता है जो भविष्य में आपके लिए बड़ी से बड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है केतु व्यवहार से बहुत रहस्यवादी ग्रह है एक्शन की ग्रह है और केतु को एक साइकिक ग्रह कहा जाता है। अतः श्रृंखला में मैं राहु के कुछ फल आपको बताने का प्रयास किया है चतुर्थ भाव में राहु के फल बहुत ज्यादा शुभ नहीं होते ऐसी स्थिति में यदि राहु बुध के साथ चंद्रमा के साथ सूर्य के साथ मंगल के साथ और सबसे ज्यादा अधिक अशुभ शनि के साथ होता है यदि आपकी पत्रिका में इस प्रकार की युक्तियां हैं यदि आप अपनी पत्रिका का संपूर्ण विश्लेषण करवाना चाहते हैं तो आप मुझे नीचे दिए गए नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं और मुझसे बात कर सकते हैं हरे कृष्णा।

आचार्य वासुदेव (ज्योतिषाचार्य)
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