आरोपी के भी अधिकार होते हैं, Supreme Court guidelines on bail, Satyendra until versus CBI

Описание к видео आरोपी के भी अधिकार होते हैं, Supreme Court guidelines on bail, Satyendra until versus CBI

In this video I am explaining about the right of the accused very important leading judgement in Satyendra until versus CBI supreme court give certain directions to the high court and lower courts. This video is important for lawyers parents students of law and other public. Video must watch Till end.
वीडियो मुझे बताया जा रहा है कि manniye सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सत्येंद्र कुमार अंटील वर्सेस सीबीआई के मामले में महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए क कैदी और बंदी के भी मौलिक अधिकार होते हैं, इन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता। एडमिनिस्ट्रेशन का जस्टिस में आरोपी को भी अर्थात कह दिया बंदी को भी कुछ महत्वपूर्ण नदी का मौलिक अधिकारों के रूप में दिए गए हैं। कैदी/ बंदी आरोपियों के अधिकारों की महत्वपूर्ण गाइडलाइंस जारी किए ,इसमें यह भी कहा गया है कि फिर से रिलेटेड जो भी बैल एप्लीकेशंस होगी वह एक ही जज के द्वारा डिसाइड की जाए हाई कोर्ट में एक ही जज उन मामलों को जिस सीटी रवि कुमार एवं जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने यह दिशा निर्देश दिए क्योंकि साजिद वीएस स्टेट ऑफ़ यूपी के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जूनियर ने दिया था इस प्रकार राजस्थान हाई कोर्ट ने 29 अगस्त 2023 को एक मामले में आरोपी को जमानत देने की दूसरे को जमानत नहीं दीथी।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कैदी /बंदी जमानत के मामलों में आरोपी के अधिकारों को भी देखा जाना चाहिए पुरानी सीआरपीसी में धारा 438 ,439 के स्थान पर अब bnss की धारा 35 है। कैदी को भी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 21 के अंतर्गत सुरक्षा दी जानी चाहिए। विभिन्न कानूनों में यदि आरोप लगाए गएथे, जांच एजेंसी को एवं न्यायपालिका को भी देखना चाहिए ,क्योंकि आरोपियों के मामले में जुडिशल डिले होता है आर्टिकल 14 और 21 की व्याख्या करते हुए सत्येंद्र कुमार अंटील वीएस सीबीआई के मामले में यह कहा गया है की पुरानी सीआरपीसी की धारा 4141aहै,अब bnss धारा 35a आरोपियों के अधिकारों में क्या असर पड़ता है आरोप पत्र दाखिल करने में बहुत देरी होती है। Bnss कपालन नहीं करने से गैर जरूरी अनावश्यक गिरफ्तारी में आरोपी रहता है। Failure of Court to act, strict adherence to the CrPC guidelines.
Is प्रकार प्रकाश महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश सुप्रीम कोर्ट द्वारा गाइडलाइंस के रूप में दिए गए थे बेल इस रिलीजेल इस एन एक्सेप्शन ।
मामूली अपराधों के नियमों के तहत मामले को देखा जाना चाहिए बेल उचित समय में निराकृत की जानी चाहिए
प्रॉसिक्यूटर को भी जिम्मेदार होना पड़ेगा, अनावश्यक जमानत का विरोध ना करें ,
स्पेशल कोर्ट का गठन किया जाए आरोपी के मामले मेंशीघ्र सुनवाई हो।
#parameteroflaw
#आरोपी कैदी बंदी की कौन से अधिकार होते हैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय

Комментарии

Информация по комментариям в разработке