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इस डांस को करने से पहले डायरेक्टर कि परमिशन लेना अनिवार्य है।
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पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी लुधियानामें आयोजित हुई राष्ट्रीय युवा उत्सव में समूह लोकनृत्य प्रतियोगिता में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के समूह नृत्य प्रथम स्थान जीत कर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेश कुमार वर्मा DSW डॉ. विवेक मिश्रा सांस्कृतिक सचिव डॉ आर. के. गुप्ता के मार्गदर्शन में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय को पुनः गौरवान्वित किया।
कदम संस्था के युवा निर्देशकों की अगुवाई में महाकौशल अंचल की पहचान अहीर लोकनृत्य ने पुनः अंतरराष्ट्रीय युवा उत्सव के लिए चयन।
#प्रथम_स्थान
लोक नृत्य अहीर
शासकीय महाकौशल कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय
मार्गदर्शन
संस्था के संस्थापक श्री योगेश गनोरे जी, मुख्य संगठक व नृत्य संयोजन श्री पंकज गोस्वामी जी की ओर से सभी प्रतिभागियों व कदम के निर्देशकों को ढेर सारी बधाई दी अगले स्तर में पहुंचने के लिए शुभकामनाएं दी।
परिकल्पना- डॉक्टर शैलेंद्र पांडे
निर्देशक - श्री कृष्णकांत दीक्षित
सह निर्देशन - श्री प्रवीण विनोदिया, श्री सुरेंद्र चौधरी श्री धर्मेंद्र गौतम, श्रीमती नीता दीक्षित, श्री विनोद कोरी, श्री आकाश चौरसिया,श्री अजय राणा
वादन -श्री किशोर बेन, श्री प्रियांश दीवान, श्री सौरभ सेन, श्री गुरुकांत दीक्षित, श्री अश्विन जंगे, श्री कार्तिक गुरुंग,श्री रोहित शर्मा
प्रतिभागी छात्र - सुश्री दामिनी बाटव ,सुश्री श्वेता उदय, सुश्री खुशी बर्मन, रोहित नामदेव, विशाल सुंदरम, राजवीर, सनी, ऋषि यादव,
सहयोगी-श्रीमती रेनू कोरी, श्रीमती विभूति विनोदिया, श्री रोहित शर्मा, सुश्री स्मिता डे, सुश्री साक्षी विनोदिया,सुश्री झील सिंह, श्री रोहित नामदेव, श्री विशाल अहिरवार, श्री लकी यादव, श्री सुमित चौधरी, श्री अनिरुद्ध लिंगायत, श्री अजय कोल, सुश्री आशना यादव
सभी प्रतिभागियों एवं निर्देशकों को ढेर सारी शुभकामनाएं व बधाई।
नृत्य को करने से पहले डायरेक्टर की अनुमति लेना अनिवार्य है
संपर्क 8770769634,9993241814,9424728886
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पंजीयन क्रमांक 04/14/01/09089/06
म.प्र. संस्कृति संचनालय
गीत नाटक प्रभाग,भारत सरकार
महिला एवं बाल विकास,म.प्र.
जल निगम,म.प्र.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग,म.प्र.
जन अभियान परिषद,म.प्र.
जनसंपर्क विभाग,म.प्र.
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मध्यप्रदेश के महाकोशल अंचल के यादव जाति के लोग भगवान श्री कृष्ण को अपना आराध्य मानते है, लोग कार्तिक माह की अमावस्या दीपावली के दिन छाहूर बांधते है और गाँव की सुख,शांति,प्राकृतिक आपदा से बचाव फसल धन धान्य की मंगल कामना की जानती है बाना बाँध कर नृत्य किया जाता है यह क्रम दीपावली से चंडी पूजा (मड़ई मेल) तक सम्पूर्ण महाकौशल अंचल के ग्रामीण क्षेत्रों मे घूम घूम कर नृत्य किया जाता है|
अहीर नृत्य के नजारे दिवाली (अमावस्या) की रात से ही देखने मिलने लगते हैं। जो कि पूर्णिमा तक जारी रहते हैं। बताया जाता है कि अहीर नृत्य के लिए जिन परंपरागत वस्त्रों को धारण किया जाता है पहले उनकी पूजा की जाती है। वादन यंत्र भी विधि-विधान से पूजे जाते हैं। उसके बाद देवों की पूजा कर अहीर नृत्य किया जाता है।
महाकौशल अंचल के जबलपुर के आसपास के ग्रामीण जन यादव जाति के लोग अनादि काल से कार्तिक माह की अमावस्या दीपावली के दिन सभी ग्रामीण जन एकत्रित होकर बुजुर्गों की उपस्थिति मैं झाहुर बनाते हैं बुजुर्गों का मानना है कि अनादि काल से भगवान श्री कृष्ण गांव में होने वाली विपत्ति प्राकृतिक आपदाएं पशुधन धान्य एवं कृषि की रक्षा करते आ रहे हैं इस हेतु झाहूर बांधकर संपूर्ण गांव की परिक्रमा की जाती है दीपावली के दूसरे दिन जिसे हम सब परमा के नाम से जानते हैं उस दिन अपने पशुधन को सजा सजा कर यादव अहीर जाति के लोग संपूर्ण गांव में टोली बनाकर घूमते हैं गायों को नचाते हैं हुई हक्का की आवाज लगा कर गायों को नचाते हैं यह क्रम दीपावली की अमावस्या से चंडी पूजा मड़ई मेले तक संपूर्ण महाकौशल अंचल में यह क्रम चलता रहता है पुरुष टोली बनाकर गांव गांव जाकर नृत्य करते हैं यादव जाति के लोगों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है अहीर नृत्य
इस नृत्य मे नृतक पिरामिड बनाकर अपने बाहुबल का प्रदर्शन करते हैं गाने को दोहे के रूप में पिरोकर गाया जाता है हाथ में डंडा फरसा लिए साफा पहने यादव जाति के लोग झूम-झूम का नृत्य करते हैं इस नृत्य में आपको भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न लीलाएं देखने को मिलेंगे जैसे मटकी फोड़ने का दृश्य कालिया मर्दन का दृश्य चक्कर चलाने का दृश्य एवं महाभारत के रथ का दृश्य प्रमुख रूप से शामिल है धोती कुर्ता साफा बाना हसली घुंगरू तोड़े इसकी प्रमुख वेशभूषा है, ढोल ढोलक कासावरी नगरिया बांसुरी एवं थाली इसके प्रमुख वाद्य यंत्र है मध्यम गति से शुरू होने वाला यह नृत्य अपने चरम को प्राप्त करता है लय ताल का सामंजस्य इस नृत्य को और भी मनमोहक बनाता है तो लीजिए प्रस्तुति महाकौशल अंचल का लोक नृत्य अहीर |
पिरामिड बनाकर अपने बाहुबल का प्रदर्शन यादव जाति के लोगो द्वारा लिया जाता है हुई हक्का - हुर्रा को टेर पर नृत्य किया जाता है भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं से सुसज्जित आई दिवारी पाहुनी की टेर पर हर्षोल्लास के साथ किया जाने वाला नृत्य है अहीर नृत्य महाकौशल का सिरमौर मध्य प्रदेश की लोक संस्कृति की पहचान बन गया है।
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