मां चंडी देवी मंदिर हरिद्वार (उत्तराखंड)

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मां चंडी देवी मंदिर हरिद्वार (उत्तराखंड)

#1चंडी देवी मंदिर का इतिहास क्या है?

चंडी देवी मंदिर का निर्माण 1929 में सुचत सिंह ने कश्मीर के राजा के रूप में अपने शासनकाल में करवाया था। हालाँकि, मंदिर में चंडी देवी की मुख्य मूर्ति 8वीं शताब्दी में स्थापित की गई थी। हिंदू धर्म के सबसे महान पुजारियों में से एक आदि शंकराचार्य द्वारा शताब्दी में निर्मित।

#चंडी माता किसकी कुलदेवी है?
गोंड राजा की ईष्ट देवी

बताया जाता है चंडी दरबार का इतिहास आज से 1400 साल पुराना है. जब मां चंडी यहां पिण्डी रूप में प्रकट हुई थीं. गोंडवाना वंश की कुलदेवी होने के नाते अंतिम गोंड राजा ईल यहां देवी की आराधना करने एक गुप्त सुरंग के रास्ते आते थे.

#चंडी माता किसका रूप है?

चंडी या चंडिका एक हिंदू देवता हैं। चंडिका, दुर्गा के समान महादेवी का दूसरा रूप है। चंडिका महादेवी का एक शक्तिशाली रूप है जो बुराई को नष्ट करने के लिए प्रकट हुई थी। उन्हें कौशिकी , कात्यायनी , अष्ठादसबुजा महालक्ष्मी और महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है।

#क्या चंडी देवी मंदिर एक शक्ति पीठ है?

चांदनी देवी भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह स्थान बहुत धार्मिक महत्व रखता है और इसे उत्तर भारत के शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर को सिद्धपीठ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसमें भक्तों की इच्छाएँ पूरी करने की शक्ति है।

#चंडी माता की उत्पत्ति कैसे हुई?

पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीनकाल में शुंभ और निशुंभ नामक राक्षसों ने स्वर्ग के देवता इंद्र के राज्य पर कब्जा कर लिया था और देवताओं को स्वर्ग से फेंक दिया था. देवताओं की प्रार्थना के बाद पार्वती ने चंडी के रूप को धारण किया और राक्षसों के सामने प्रकट हुईं.

#चंडी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

चंडी मंदिर देवी चंडी को समर्पित है, जिन्हें शक्ति की देवी माना जाता है। यह एक शक्तिपीठ (भक्ति मंदिर जहाँ देवी सती के कटे हुए शरीर के अंग गिरे थे) है, जिसके नाम पर चंडीगढ़ शहर का नाम पड़ा है।

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