गंगासागर तीर्थ हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है, जहाँ गंगा नदी बंगाल की खाड़ी से मिलती है। यह स्थल विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हिन्दू मान्यता के अनुसार, "सारे तीर्थ बार-बार, गंगासागर एक बार," अर्थात गंगासागर की तीर्थयात्रा जीवन में एक बार अवश्य करनी चाहिए। गंगा नदी उत्तराखंड के गोमुख से निकलकर भारत के विभिन्न राज्यों से होकर गुजरती है और पश्चिम बंगाल के गंगासागर में आकर समुद्र में मिल जाती है, जिसे गंगा और सागर का पवित्र संगम कहा जाता है।
गंगा नदी की यात्रा गोमुख से शुरू होती है, जिसे भागीरथी नदी के नाम से जाना जाता है। गंगोत्री से शुरू होकर यह उत्तराखंड के देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलती है, और इस संगम के बाद इसे गंगा कहा जाता है। उत्तराखंड से होते हुए गंगा उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है और प्रयागराज में यमुना और सरस्वती नदियों से मिलती है। फिर यह बिहार और झारखंड से गुजरती हुई पश्चिम बंगाल पहुँचती है। पश्चिम बंगाल में गंगा दो मुख्य धाराओं में विभाजित हो जाती है: हुगली नदी, जो कोलकाता के पास से बहती है और गंगासागर में जाकर मिलती है, और पद्मा नदी, जो बांग्लादेश में प्रवेश करती है और वहां से बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
गंगासागर तीर्थ तक पहुँचने के लिए कोलकाता से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित काकद्वीप तक सड़क मार्ग से जाया जाता है। वहां से फेरी के माध्यम से गंगासागर द्वीप पहुंचा जा सकता है। फेरी का सफर लगभग 45 मिनट का होता है, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु गंगा नदी के इस विशाल रूप को देखने के लिए इकट्ठा होते हैं। फेरी से उतरने के बाद, कपिल मुनि मंदिर और समुद्र के किनारे तक पहुँचने के लिए ऑटो और ई-रिक्शा का उपयोग किया जाता है।
गंगासागर में सबसे पहले श्रद्धालु समुद्र में स्नान करते हैं। यह माना जाता है कि इस संगम पर स्नान करने से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। समुद्र में स्नान करने के बाद, कपिल मुनि के मंदिर में पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि कपिल मुनि ने इसी स्थान पर तपस्या की थी, और राजा सगर के 60,000 पुत्रों की आत्माओं को मोक्ष दिलाने के लिए गंगा को धरती पर लाने का प्रयास किया गया था। यह स्थान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि गंगा के पवित्र जल से उन आत्माओं को शांति मिली थी।
मकर संक्रांति के अवसर पर, गंगासागर मेले का आयोजन होता है, जहाँ लाखों श्रद्धालु गंगा और सागर के इस पवित्र संगम पर स्नान करने के लिए आते हैं। गंगासागर की यात्रा धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जाती है, और यहाँ आकर लोग अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
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Gangasagar is considered one of the holiest pilgrimage sites in Hinduism, where the sacred Ganga River meets the Bay of Bengal. This site holds great significance, as Hindu tradition suggests, "All pilgrimages may be repeated, but Gangasagar is a once-in-a-lifetime pilgrimage." The Ganga River originates from Gomukh in Uttarakhand, traversing through various states of India, and finally merges into the sea at Gangasagar in West Bengal, marking the sacred confluence of the Ganga and the ocean.
The journey of the Ganga River begins at Gomukh, where it is initially known as the Bhagirathi River. Flowing from Gangotri, it meets the Alaknanda River at Devprayag in Uttarakhand, after which the river is officially called the Ganga. From Uttarakhand, the Ganga enters Uttar Pradesh, where it merges with the Yamuna and Saraswati rivers at Prayagraj. The river then flows through Bihar and Jharkhand before reaching West Bengal. In West Bengal, the Ganga splits into two main streams: the Hooghly River, which flows past Kolkata and merges with the sea at Gangasagar, and the Padma River, which flows into Bangladesh and empties into the Bay of Bengal.
To reach the Gangasagar pilgrimage, one must travel approximately 100 kilometers by road from Kolkata to Kakdwip. From Kakdwip, a ferry takes pilgrims to Gangasagar Island. The ferry journey takes about 45 minutes, during which hundreds of devotees gather to witness the vast expanse of the Ganga River. After disembarking from the ferry, pilgrims travel to the Kapil Muni Temple and the nearby sea shore using auto-rickshaws and e-rickshaws.
At Gangasagar, devotees first bathe in the sea. It is believed that bathing at this confluence cleanses sins and leads to salvation. After the sea bath, pilgrims visit the Kapil Muni Temple for worship. According to religious tradition, it was at this site where Sage Kapil meditated, and King Sagar’s 60,000 sons attained salvation after Ganga was brought to Earth by Bhagirath. The sacred waters of the Ganga are said to have brought peace to the souls of King Sagar's sons, thus making this site spiritually significant.
On the occasion of Makar Sankranti, the Gangasagar Mela is held, attracting millions of devotees who come to bathe at the holy confluence of the Ganga and the ocean. The pilgrimage to Gangasagar is considered highly important from both religious and spiritual perspectives, where people come to express their devotion.
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