हरियाणवी किस्सा-बाबा मस्तनाथ-1/Baba Mastnath Katha-1-KPS- Maina-1997

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हरियाणवी किस्सा-बाबा मस्तनाथ-1
रचयिता-श्री कर्मपाल शर्मा, श्री हरे राम बैंसला, श्री रामपाल
गायक-कर्मपाल शर्मा, मंजु शर्मा, ब्रह्मपाल नागर व साथी
प्रस्तुति-मैना कैसेट्स
प्रस्तुति-1997
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1. अस्थल बोहर मठ दुनियां मैं सरनाम,
रात दिनां जनता की सेवा करना इसका काम।।
2. मस्तनाथ बाबा का जग मैं हुआ है शोर-शोर-शोर,
जय बाबा की बोले, जय बाबा की बोलो रे, जय बाबा
3. चरणों में प्रणाम सन्त के, करो दया का दान,
फूलो फलो सदा जग में थारा करै प्रभु कल्याण।।
4. साधु सन्त महात्मा के कदे खाली वचन गए कोन्या,
जिसनै सेवा करी सन्त की उसने कष्ट सहे कोन्या।।
5. बालक देख मग्न मन हो ग्ये, बीर-मर्द वे प्रसन्न होग्ये,
चाल्ले भाज दौड़ के, कौन गया इस बालक ने जंग में छोड़ कै।।
6. बिन बेटे के इस दुनियां में भला घोर अन्धेरा दिखै था,
इब लाग्या बसा हुआ ना तो उजड़ डेरा दिखै था।।
-कर्मपाल व मंजु शर्मा
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