बाबा मस्तनाथ कथा-3/रचयिता-श्री कर्मपाल शर्मा- श्री रामपाल/Baba Mastnath Katha -3 KPS-Maina-1997

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बाबा मस्तनाथ कथा-3
रचयिता-श्री कर्मपाल शर्मा, श्री रामपाल
गायक-कर्मपाल शर्मा, मंजु शर्मा व ब्रह्मपाल नागर एवं साथी
प्रस्तुति-मैना कैसेट्स
प्रस्तुति वर्ष-1997
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1. चलते-चलते हंसे सन्त चेलों में अचरज भारी,
अब तै पहलै इस तरियां कदे हंसे नहीं तपधारी
2. रोज रोज आड़े तेरा शीलका ठीक नहीं सै आना,
सेवक नै इन चरणां तै क्यूं चाहो दूर भगाना।।
3. मन मैं पाप शीलका के फेर ख्याल एक दिन आया,
कैसे रात कटे बाबा की, हाल देखणा चाहया।।
4. गुरूदेव एक कहण पुगा दे, गोपी चन्द तै मनै मिला दे,
भूप भरथरी के दर्श करा, भूलूं ना अहसान तेरा।।
5. बाबा जी औलाद बिना सै दुख दुनिया मैं भारी,
घणे चले गए बिना औलादे दुनियां तै नर-नारी।।
6. बंगला अजब बणा दुर्वेश जिसमें नारायण प्रवेश।।
7. नंगा बदन हांडता डोलै, इसके कोई भी काण नहीं सै,
बहू बेटी की इज्जत का इसे कति भी ध्यान नहीं सै।।
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