Dawrikadish dhaam darshan | Golok dhaam tirth somnath | krishan Charan paduka ji | tirivani sagam |

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#dawrikadish
Dawrikadish dhaam darshan | Golok dhaam tirth somnath | krishan Charan paduka ji | tirivani sagam |
#Golok dhaam tirth somnaath #
गोलोक धाम को वृन्दावन,साकेत, परंस्थान, सनातन आकाश, परंलोक, या वैकुंठ भी कहा जाता है। संसारिक मोह-माया से परे वह लोक अनिर्वचनीय है अर्थात उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती; उसकी परिकल्पना भी वही कर सकता है जिसके हृदय मे भगवद्भक्ति व प्रेम हो। इस धाम को ही प्रेम और भक्ति का धाम भी कहा जाता है।
#Goloka Story: इस संसार में युगों युगों से कई लोकों पर चर्चा होती आ रही है. बचपन से हम कई लोक के बारे में सुनते आ रहे हैं, जैसे धरतीलोक, पाताल लोक, स्वर्गलोक, शिवलोक आदि, लेकिन बहुत कम लोगों ने गोलोक का नाम सुना होगा. शास्त्रों में गोलोक के बारे में वर्णन मिलता है. गोलोक को अधिक सुंदर और अनोखा बताया गया है. गोलोक में श्रीहरि अपने कृष्ण रूप में प्रकृति की सुंदरता के साथ विराजते हैं. यह लोक इतना सुंदर है कि देवता भी इस लोक की सुंदरता से मोहित हो जाते हैं. तो चलिए जानते हैं गोलोक कहां स्थित है और यह कैसा है.

#Krishan charan paduka ji #

कन्हैया, माधव, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता है। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्जित महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष, युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवाय!!!
हे श्री कृष्णा ,हे द्वारकाधीश
हे प्रभु आपके चरणो में कोटि कोटि प्रणाम

#Trivani sagam Hirana, Kapila, sarswati somnath #
त्रिवेणी संगम यानी कपिला, हिरण और सरस्वती का संगम होने के कारण लोग सोमनाथ आना काफी पसंद करते हैं। यह जगह इसलिए भी विशेष है, क्योंकि यहां पर भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग यहीं है। शिव भक्तों के लिए यह स्थान बेहद ही पवित्र है। बता दें कि सोमनाथ का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है।

#dawrikadish Dwarka dhaam darshan#

यह हिंदू मंदिर भगवान श्री विष्णु के आठवे अवतार भगवान श्री कृष्णा को समर्पित है। मंदिर भारत के गुजरात के द्वारका में स्थित है। मंदिर 72 स्तंभों द्वारा समर्थित और 5 मंजिला इमारत का मुख्य मंदिर, जगत मंदिर या निज मंदिर के रूप में जाना जाता है, पुरातात्विक निष्कर्ष यह बताते हैं कि यह 2,200 - 2,500 साल पुराना है।
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