Ramleela | रामलीला | Day - 7 | Live | Ramanand Sagar’s Ramayan

Описание к видео Ramleela | रामलीला | Day - 7 | Live | Ramanand Sagar’s Ramayan

   • संकटमोचन नाम तिहारो - श्री हनुमान अष्...  
श्री हनुमानाष्टक आदित्य गढ़वी के भावयुक्त स्वर में। संकटमोचन हनुमानाष्टक की संरचना गोस्वामी तुलसीदास ने की थी. माना जाता है कि संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करने से व्यक्ति अपनी हर बाधा और पीड़ा से मुक्त हो जाता है और उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं।

Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here -    • दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ...  

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हनुमान जी श्री राम और लक्ष्मण को अपने साथ लेकर सुग्रीव के पास पहुँच जाते हैं। सुग्रीव श्री राम के बारे में जानकर प्रसन्न होता है और उनसे अपना दुःख साझा करता है की कैसे उसके भाई बाली ने उसके राज पाठ को उस से छीन लिया और उसे राज्य से निकाल दिया। सुग्रीव उनसे वन में आने का कारण पूछते हैं तो श्री राम उन्हें बताते हैं की वो अपने पिता की आज्ञा से वनवास काट रहे थे की एक दिन उनकी पत्नी सीता जी को रावण हरण कर ले गया, वो उन्हीं की तलाश में निकले हैं। सुग्रीव श्री राम की बात सुनकर उन्हें माता सीता के आभूषण देता है और बताता है की ये सब आभूषण एक स्त्री ने आसमान से फेंके थे शायद ये माता सीता के ही हैं। श्री राम माता सीता के आभूषण देख कर भावुक हो जाते हैं। सुग्रीव श्री राम की मदद करने की बात करता है लेकिन उसकी पास ना तो सेना थी और ना ही राज पाठ। श्री राम और सुग्रीव एक दूसरे से मित्रता पक्की कर लेते हैं और एक दूसरे की मदद करने के ठान लेते हैं श्री राम सुग्रीव को कहते हैं की वो बाली का वध कर देंगे जिस से उसका राज्य उसे वापस मिल जाएगा और वो उनकी मदद भी कर पाएगा। श्री राम जी बाली को मारने के लिए सुग्रीव से मिलकर रणनीति तैयार करते हैं।

सुग्रीव श्री राम को बाली की ताक़त और बल के बारे में बताता है की जो भी उसके सामने लड़ने के लिए जाता है और उसकी आधि शक्ति उसके पास चली जाती है और बाली अपने शत्रु से अधिक ताक़तवर हो जाता है। जब वह सुग्रीव से युद्ध कर रहा होगा श्री राम बाली को छुपकर मारने की बात करते हैं। बाली को मारने से पहले सुग्रीव श्री राम से उनकी ताक़त दिखने की बात करता है तो श्री राम उसे अपनी शक्ति का नमूना दिखते हैं जिसे देख सुग्रीव को यक़ीन हो जाता है की श्री राम उसकी मदद अवश्य कर पाएँगे। सुग्रीव श्री राम की आज्ञा से बाली को युद्ध के लिए ललकारता है। बाली सुग्रीव की ललकार सुन बाहर आ जाता है और उस से युद्ध शुरू कर देता हिया श्री राम बाली और सुग्रीव को देख कर विचलित हो जाते है और बाली को पहचानने में असमर्थ हो कर बाण नहीं चलाते। सुग्रीव बाली से पीटकर वापस भाग जाता है। श्री राम सुग्रीव से मिलकर उसको बताते है की उन्होंने बाण क्यों नहीं चलाया। सुग्रीव को लगी चोट के दर्द को भी श्री राम अपने स्पर्श से ठीक कर देते है। श्री राम सुग्रीव को बाली से फिर से युद्ध करने के लिए भेजते हैं और इस बार सुग्रीव को पहचानने के लिए उसके गले में एक माला दल देते हैं।

सुग्रीव फिर से बाली को ललकारता है और बाली सुग्रीव की आवाज़ सुनकर क्रोधित हो जाता है और निर्णय लेता है की इस बार वो उसे मर डालेगा। बाली की पत्नी तारा उसे समझाती है की वो आज युद्ध करने ना जाए लेकिन बाली फिर भी चला जाता है। बाली और सुग्रीव के युद्ध में श्री राम बाली पर छुपकर बाण से हमला कर देते हैं जिस एक कारण उसकी मृत्यु होने ही वाली थी तो वह श्री राम से सवाल करता है की उन्होंने धर्म के विरुध दो योद्धाओं के युद्ध में छिपकर वार करके अधर्म क्यों किया है तो श्री राम बाली को बताते हैं की तुमने अपने छोटे भाई के साथ जो किया वह भी अधर्म ही था तब तुमने धर्म और अधर्म की बात क्यों नहीं की अधर्म कर फाल सदा अधर्म से ही मिलता है और जब खुद पर बीतती है तब धर्म का ज्ञान आता है। बाली श्री राम से क्षमा माँगता है और पाने बेटे अंगद को श्री राम की सेवा करने का आदेश दे कर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। रानी तारा अपने पति की मृत्यु पर श्री राम से कहती है की वो भी उसी बाण से उसके पति की तरह उसकी जान ले ले ताकि वो अपने पति के साथ स्वर्ग जा सके।

हनुमान जी रानी तारा को समझाते है की श्री राम के हाथों बाली का उद्धार हुआ है और उसे स्वर्ग मिला है आप उनकी मृत्यु पर शोक ना करे। बाली का आदर पूर्वक सभी वानर सेना मिलकर अंतिम संस्कार करते हैं। बाली की मृत्यु के बाद श्री राम लक्ष्मण को सुग्रीव का राज्याभिषेक करने के लिए भेजते हैं ताकि उसके बाद किष्किन्धा का राज पाठ सुग्रीव सम्भाल सके। सुग्रीव अपने भाई के बेटे अंगद को अपनी सेना का सेनापति बना देता है और जामवन्त जी को वानर सेना का सलाहकार क्योंकि वो बहुत बुद्धिमान थे। सुग्रीव राजा बनने के बाद अपने राज्य के कार्य में लग जाता है और राज विलास में लिप्त हो जाता है। राजा बनाने के कई दिन बीत जाने के बाद जब सुग्रीव श्री राम की मदद करने की बात भूल जाता है और उनसे मिलने तक नहीं आता तो श्री राम और लक्ष्मण को क्रोध आ जाता है। श्री राम लक्ष्मण को सुग्रीव से मिलने के लिए भेजते हैं। लक्ष्मण शेष नाग के अवतार थे तो उनका क्रोध सुग्रीव पर भारी पड़ने वाला था। लक्ष्मण जी सगर्व के राज महल में जैसे ही घुसते है तो उन्हें क्रोधित देख कर सभी वानर इधर उधर भागने लगते हैं।

हनुमान जी और जामवन्त जी को जब लक्ष्मण के क्रोध के बारे में पता चलता है तो वो समझ जाते हैं की सुग्रीव ने श्री राम की मदद करने में बहुत देरी कर दी है इसलिए लक्ष्मण जी इतने क्रोधित है।

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