शुरुआती लोगों के लिए चरण दर चरण सूर्य नमस्कार का सही तरीका | Surya Namaskar | सात्विक जीवन | तिलक🙏

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हरी ॐ

सात्विक जीवन में आपका स्वागत है.

सूर्य को ब्रह्मांड का निर्माता और सभी जीवन का स्रोत माना जाता है। सूर्य की मान्यता हर धर्म और हर ऋतू में है, सूर्य न केवल बाहरी प्रकाश बल्कि अंदुरुनी ऊर्जा का भी श्रोत है। योग में भी सूर्य का बहुत ज़्यादा महत्त्व है।
और जब-जब योगा की बात होती है, तो सूर्य नमस्कार का नाम सबसे पहले आता है। इसका एक अकेला अभ्यास ही शरीर की अच्छी व्यायाम करा देता है।

सूर्य नमस्कार, जिसे सूर्य को नमस्कार करने वाले आसन के रूप में भी जाना जाता है, 12 योग मुद्राओं का एक समूह है। ये आसन सूर्य को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक खास श्रेणी में किया जाता है।
हर योगासन में अलग-अलग मंत्रों का जाप किया जाता हैं अर्थात सूर्य नमस्कार के 12 योगासनों के लिए 12 मंत्रो का जाप किया जाता है।

ध्यान रखें: कोई भी योग प्रवाह तथा व्यायाम शुरू करने से पहले, पूर्ण शरीर सूक्ष्म व्यायाम ज़रूर करें।

आप नीचे बतायी हुई चरण दर चरण विधि से सूर्य नमस्कार करें।

1) प्रणामासन- चरण १
मंत्र- ॐ मित्राय नमः

2) हस्त उत्तानासन- चरण २
मंत्र- ॐ रवये नमः

3) पादहस्तासन- चरण ३
मंत्र- ॐ सूर्याय नमः

4) अश्व संचालनासन - चरण ४
मंत्र- ॐ भानवे नमः

5) दंडासन - चरण ५
मंत्र- ॐ खगाय नमः

6) अष्टांग नमस्कार - चरण ६
मंत्र- ॐ पूष्णे नमः

7) भुजंगासन - चरण ७
मंत्र- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः

8) पर्वत आसन - चरण ८
मंत्र- ॐ मरीचये नमः

9) अश्व संचालनासन - चरण ९
मंत्र- ॐ आदित्याय नमः

10) पादहस्तासन - चरण १०
मंत्र- ॐ सवित्रे नमः

11) हस्त उत्तानासन - चरण ११
मंत्र- ॐ अर्काय नमः

12) प्रणामासन - चरण १२
मंत्र- ॐ भास्कराय नमः

सूर्य नमस्कार करते समय कुछ नीचे बतायी गई सावधानियां बरतें।
इसे कभी भी बंद जगह पर ना करे। हमेशा ऐसे स्थान पर करे जहाँ सूर्य का प्रकाश पहुँच सकता हो।
तेज सूर्य की रोशनी में इसे ना करे, जो निर्धारित समय है उसी दौरान इसे करे।
इसे खाली पेट व ढीले कपड़े पहनकर करना चाहिए।
एक से दूसरा आसन करते समय झटका ना दे अपितु आराम से एक से दूसरे आसन में जाए।
इसे करते समय मन को शांत रखे और सूर्य देव पर ध्यान दे।
सूर्य नमस्कार के आसन करते समय श्वास छोड़ने और लेने की प्रक्रिया का सही से पालन करे।
सूर्य नमस्कार करते समय हमेशा अपने मुहं को सूर्य देव की ओर ही रखें।

सूर्य नमस्कार किसे नही करना चाहिए:
गर्भवती महिलाएं इसे किसी प्रसिक्षण की देख रेख में करे या फिर इसका अभ्यास न करे।
मासिक धर्म (पीरियड्स) के समय इसका अभ्यास न करे।
जिनकी रीढ़ की हड्डी में दर्द हैं वो इसे किसी योग प्रशिक्षण की निगरानी में ही करे।
उच्च रक्तचाप वाले रोगी इसके अभ्यास से बचे।
पेप्टिक अल्सर के रोगी इसे न करे।
हर्निया, सायटिका के रोगी और तीव्र गठिया के रोगी इसका अभ्यास न करे।

सूर्य नमस्कार का महत्व एवं लाभ:

आपके श्वसन तंत्र में सुधार होता है।
यदि आप यह आसन नियमित करें तो पेट पर जमी जिद्दी चर्बी से निजात पा सकते है।

सूर्य नमस्कार से आप अपने अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार महसूस करेंगे। यह ऊर्जा आपको निरोगी रखने में मदद करेगी।
आपकी त्वचा और बालों की गुणवत्ता व चमक में सुधार होता है और साथ ही यह उम्र बढ़ने के संकेत धीमे कर देता है।

इससे बालों का झड़ना और बालों का समय से पहले सफेद होना भी बंद हो जाता है।

जिन लोगो को कब्ज़, अपच, पेट में जलन जैसी समस्याओ का आये दिन सामना करना पड़ता है, उनके लिए ये आसन बहुत लाभकारी होता है। इसे रोज सुबह खाली पेट करने से पाचन तंत्र बेहतर होता है।

यदि आप इस बढ़ते वज़न पर काबू पाना चाहते है तो सूर्यनमस्कार करना आज से ही शुरू कर दे।

सूर्य नमस्कार से आपके फेफड़ों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुँचती है, जो रक्त को शुध्द करके शरीर के हानिकारक रसायनों और कार्बन डाई ऑक्साइड को वातावरण में उत्सर्जित करने का काम करती है।

इसे नियमित रूप से करने से मन शांत रहता है। स्मरण शक्ति में बढ़ती इज़ाफ़ा होता है, और तंत्रिका तंत्र नर्वस सिस्टम ठीक प्रकार से काम करता है।

सूर्य नमस्कार महिलाओं में मासिक धर्म की समस्या, अनियमितता को ठीक करने में भी मददगार साबित होती है।
सूर्य की रोशनी से शरीर में विटामिन डी की कमी भी पूरी होती है । यह मांसपेशियों को मजबूत कर शरीर की कार्य क्षमता भी बढ़ाता है.यह अनियमित दिल की धड़कन को भी ठीक करता है।

यौन ग्रंथियों के खराब होने से संबंधित किसी भी आंतरिक खामियों को मिटा देता है।
तनावग्रस्त जोड़ों की समस्याएं कम कर देती हैं। दर्दनाक मांसपेशियों और जोड़ों को लुब्रिकेट करता है और उनके स्वस्थ कामकाज को बढ़ावा देता है।

हमें आशा है कि आप सूर्य नमस्कार को अपने नियमित व्यायाम में सम्मिलित करेंगे, और इससे होने वाले लाभ को कमैंट्स के द्वारा हम से सांझा करेंगे।

स्वस्थ रहें प्रसन्न रहें। दिव्य शक्ति की कृपा हम सब पर बनी रहे। हरी ॐ तत् सत्।

श्रेय:
योगा शिक्षक: शिवाली चटर्जी

Disclaimer: यहाँ मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहाँ यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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