जयभीम वालों का जोश देखकर मनुवादी क्यों आए टेंशन में : BABU HARDAS LN MELA : Samta Sainik Dal

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बाबू हरदास, जिन्होंने 1935 में सबसे पहले दिया जयभीम का नारा, 1933 से डॉ. आंबेडकर जयंती मनाई. इंग्लंड के गोलमेज परिषदे जब गांधी ने अस्पृश्यों के नेता हम ही है.. डॉ. आंबेडकर नही.. तो बाबू हरदास ने हजारों टेलीग्राम इंग्लंड भेजकर कहा की अस्पृश्यों के नेता गांधी नहीं डॉ. आंबेडकर है. ऐसा कहकर अंग्रेजों के मन में डॉ. आंबेडकर के प्रति सहानुभूती पैदा की. १९२१ में उन्होंने दलितों में जागृति लाने के लिए एक अख़बार 'महाराठे' निकला और बीड़ी मजदूरों का शोषण रोकने के लिए सहकारिता के आधार पर काम शुरू किया. १९२३ में उन्होंने गवर्नर से असेम्बली और नगरीय निकायों में दलितों का प्रतिनिधि नामित करने की मांग की. समुदाय में शिक्षा का प्रसार करने के लिए उन्होंने कई नाइट स्कूल खोले और अंधविश्वास ख़त्म करने के लिए 'मंडई महात्म्य' नाम की पुस्तक लिखी, जिसका काफी असर हुआ.1९३७ में वे नागपुर-कामठी से असेम्बली सदस्य चुने गए."जयभीम" इस अभिवादन के जनक अम्बेडकरवादी बाबु एल. एन. हरदास जी के जन्मदिन (जन्म ६ जनवरी १९०४) पर सभी अम्बेडकरवादी भाई- बहनों को
सप्रेम जयभीम !

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