"गजेन्द्र माेक्ष" नराम्रा सपना देख्नु हुन्छ सुन्नुहाेस स्ताेत्र || ठुलाे संकट समस्या वाट पार लगाउनेछ

Описание к видео "गजेन्द्र माेक्ष" नराम्रा सपना देख्नु हुन्छ सुन्नुहाेस स्ताेत्र || ठुलाे संकट समस्या वाट पार लगाउनेछ

#kubersubedi_mantrasong_गजेनद्रमाेक्ष_नेपाली

"गजेन्द्र माेक्ष" नराम्रा सपना देख्नु हुन्छ सुन्नुहाेस स्ताेत्र || ठुलाे संकट समस्या वाट पार लगाउनेछ यश गजेन्द्र माेक्ष स्ताेत्रले Gajendra Mokcha Esatotra by Pt.Kuber Subedi | पं कुबेर सुवेदी | dharma darshan ||

"गजेन्द्र माेक्ष स्ताेत्र"

श्री शुक उवाच | Sri Shukra Uvach

एवं व्यवसितो बुद्धया समाधाय मनो ह्रदि।
जजाप परमं जाप्यं प्राग्जन्मन्यनुशिक्षितम् ॥1॥

गजेन्द्र उवाच | Gajendra Uvach

ॐ नमो भगवते तस्मै यत एतच्चिदात्मकम् ।
पुरुषायादिबीजाय परेशायाभिधीमहि॥2॥

यस्मिन्निदं यतश्चेदं येनेदं य इदं स्वयम्|
योऽस्मातपरस्माच्च परस्तं प्रपद्ये स्वयम्भुवम्।।३।।

यः स्वात्मनीदं निजमाययार्पितं क्वचिद्विभातं क्व च तत्तिरोहितम्।
अविद्धदृक् साक्ष्युभयं तदीक्षते स आत्ममूलोऽवतु मां परात्परः।।४।।

कालेन पञ्चत्वमितेषु कृत्स्नशो लोकेषु पालेषु च सर्वहेतुषु।
तमस्तदाऽसीद् गहनं गभीरं यस्तस्य पारेऽभिविराजते विभुः।।५।।

न यस्य देवा ऋषयः पदं विदुर्जन्तुः पुनः कोऽर्हति गन्तुमीरितुम्।
यथा नटस्याकृतिभिर्विचेष्टतो दुरत्ययानुक्रमणः स मावतु।।६।।

दिदृक्षवो यस्य पदं सुमंगलं विमुक्तसंगा मुनयः सुसाधवः।
चरन्त्यलोकव्रतमव्रणं वने भुतात्मभूताः सुह्रदः स मे गतिः।।७।।

न विद्यते यस्य च जन्म कर्म वा न नामरुपे गुणदोष एव वा।
तथापि लोकाप्ययसम्भवाय यः स्वमायया यः तान्यनुकालमृच्छति।।८।।

तस्मै नमः परेशाय ब्रह्मणेऽनन्तशक्तये।
अरुपायोरुरुपाय नम आश्चर्यकर्मणे।।९।।

नम आत्मप्रदीपाय साक्षिणे परमात्मने।
नमो गिरां विदूराय मनसश्चेतसामपि।।१०।।

सत्त्वेन प्रतिलभ्याय नैष्कर्म्येण विपश्विता
नमः कैवल्यनाथाय निर्वाणसुखसंविदे।।११।।

नमः शान्ताय घोराय मूढाय गुणधर्मिणे।
निर्विशेषाय साम्याय नमो ज्ञानघनाय च।।१२।।

क्षेत्रज्ञाय नमस्तुभ्यं सर्वाध्यक्षाय साक्षिणे।
पुरुषायात्ममूलाय मूलप्रकृतये नमः।।१३।।

सर्वेन्द्रियगुणद्रष्ट्रे सर्वप्रत्ययहेतवे।
असताच्छाययोक्ताय सदाभासाय ते नमः।।१४।।

नमो नमस्तेऽखिलकारणाय निष्कारणायाद्भुतकारणाय।
सर्वागमाम्नायमहार्णवाय नमोऽपवर्गाय परायणाय।।१५।।

गुणारणिच्छन्नचिदुष्मपाय तत्क्षोभविस्फूर्जितमानसाय।
नैष्कर्म्यभावेन विवर्जितागमस्वयंप्रकाशाय नमस्करोमि।।१६।।

मादृक्प्रपन्नपशुपाशविमोक्षणाय मुक्ताय भूरिकरुणाय नमोऽलयाय।
स्वांशेन सर्वतनुभृन्मनसि प्रतीतप्रत्यग्दृशे भगवते बृहते नमस्ते।।१७।।

आत्मात्मजाप्तगृहवित्तजनेषु सक्तैर्दुष्प्रापणाय गुणसंगविवर्जिताय।
मुक्तात्मभिः स्वह्रदये परिभाविताय ज्ञानात्मने भगवते नम ईश्वराय।।१८।।

यं धर्मकामार्थविमुक्तिकामा भजन्त इष्टां गतिमाप्नुवन्ति।
किं त्वाशिषो रात्यपि देहमव्ययं करोतु मेऽदभ्रदयो विमोक्षणम्।।१९।।

एकान्तिनो यस्य न कञ्चनार्थं वाञ्छन्ति ये वै भगवत्प्रपन्नाः।
अत्यद्भुतं तच्चरितं सुमंगलं गायन्त आनन्दसमुद्रमग्नाः।।२०।।

तमक्षरं ब्रह्म परं परेशमव्यक्तमाध्यात्मिकयोगगम्यम्।
अतीन्द्रियं सूक्ष्ममिवातिदूरमनन्तमाद्यं परिपूर्णमीडे।।२१।।

यस्य ब्रह्मादयो देवा वेदा लोकाश्चराचराः।
नामरुपविभेदेन फलव्या च कलया कृताः।।२२।।

यथार्चिषोऽग्नेः सवितुर्गभस्तयो निर्यान्ति संयान्त्यसकृत् स्वरोचिषः।
तथा यतोऽयं गुणसम्प्रवाहो बुद्धिर्मनः खानि शरीरसर्गाः।।२३।।

स वै न देवासुरमर्त्यतिर्यङ् न स्त्री न षण्ढो न पुमान् न जन्तुः।
नायं गुणः कर्म न सन्न चासन् निषेधशेषो जयतादशेषः।।२४।।

जिजीविषे नाहमिहामुया किमन्तर्बहिश्चावृतयेभयोन्या।
इच्छामि कालेन न यस्य विप्लवस्तस्यात्मलोकावरणस्य मोक्षम्।।२५।।

सोऽहं विश्वसृजं विश्वमविश्वं विश्ववेदसम्।
विश्वात्मानमजं ब्रह्म प्रणतोऽस्मि परं पदम्।।२६।।

योगरन्धितकर्माणो ह्रदि योगविभाविते।
योगिनो यं प्रपश्यन्ति योगेशं तं नतोऽस्म्यहम्।।२७।।

नमो नमस्तुभ्यमसह्यवेगशक्तित्रयायाखिलधीगुणाय।
प्रपन्नपालाय दुरन्तशक्तये कदिन्द्रियाणामनवाप्यवर्त्मने।।२८।।

नायं वेद स्वमात्मानं यच्छक्त्याहंधिया हतम्।
तं दुरत्ययामाहात्म्यं भगवन्तमितोऽस्म्यहम्।।२९।।

श्री शुक उवाच | Shri Shuk Uvach

एवं गजेन्द्रमुपवर्णितनिर्विशेषं ब्रह्मादयो विविधलिंगभिदाभिमानाः।
नैते यदोपससृपुर्निखिलात्मकत्वात् तत्राखिलामरमयो हरिराविरासीत्।।३०।।

तं तद्वदार्त्तमुपलभ्य जगन्निवासः स्तोत्रं निशम्य दिविजैः सह संस्तुवद्भिः।
छन्दोमयेन गरुडेन समुह्यमानश्चक्रायुधोऽभ्यगमदाशु यतो गजेन्द्रः।।३१।।

सोऽन्तस्सरस्युरुबलेन गृहीत आर्त्तो दृष्ट्वा गरुत्मति हरिं ख उपात्तचक्रम्।
उत्क्षिप्य साम्बुजकरं गिरमाह कृच्छ्रान्नारायणाखिलगुरो भगवन् नमस्ते।।३२।।

तं वीक्ष्य पीडितमजः सहसावतीर्य सग्राहमाशु सरसः कृपयोज्जहार।
ग्राहाद् विपाटितमुखादरिणा गजेन्द्रं सम्पश्यतां हरिमूमुचदुस्त्रियाणाम्।।३३।।



(2) संकट माेचन हनुमाष्टक " हनुमान स्तुति"
   • संकट माेचन हनुमानष्टक "नेपालीमा" अर्थ...  

(3) कनकधारा स्ताेत्र: "लक्ष्मी स्तुती" प
   • लक्ष्मी काे "कनकधारा" स्ताेत्र व्यापा...  

(4) बिष्णु सहस्त्र नाम स्त्राेत्र " बिष्णु स्तुति"
   • बिष्णुसहस्त्रनाम् स्ताेत्रम् 1000 हजा...  

(5) नवग्रहका वैदिक र तान्त्री मन्त्र हरु "नवग्र स्तुति"
   • नव ग्रहकाे प्रभाव साली वैदिक र तान्त्...  

(6) शनि ग्रह शान्ती 108 मन्त्र "शनी स्तुति
   • शनि ग्रह 108 मन्त्र कुन्डलीमा साढे सा...  

Facebook-   / @dharmadarshan8528  

Twitter-   / kubersubedi7  

Instagram-  / kubersubedi  

पुजनिय गुरुदेवका अरु च्यानलकाे लागि तल लिंङ्कमा

Kuber subedi Youtube channel
   / @kubersubedi1395  

Mantra Song Youtube Channel    / @dharmadarshanbhajan99  

Dharma Darshan Youtube channel
   / @dharmadarshan8528  

Комментарии

Информация по комментариям в разработке