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Скачать или смотреть 1253)त्रिपुरी पौर्णिमा २५ | Hindi | Arvind P Patil

  • Kadsiddha Maharaj Bodhamrut!
  • 2025-11-05
  • 100
1253)त्रिपुरी पौर्णिमा २५ | Hindi | Arvind P Patil
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Описание к видео 1253)त्रिपुरी पौर्णिमा २५ | Hindi | Arvind P Patil

🕉👏श्री सद्गुरुकृपा -(प्र. १२५३ दि. ५/११/२५ ) आज त्रिपुरारी पौर्णिमा के उपलक्ष्य में ज्ञान दृष्टि से त्रिपुर निरास कैसे किया जा सकता हैं यह हम देखनेवाले हैं ।
तारकासुर ने ब्रह्मा को प्रसन्न करके ऐसा वर प्राप्त किया कि,मुझे सिर्फ़ शिवशंकर के पुत्र के हाथ से ही मृत्यु आनी चाहिये । शिवजी तो संन्यासी लेकिन वह संसारी बन गये । तारकासुर के अत्याचारसे प्रजाजनको मुक्त करनेकेलिए शिव पार्वती जी का पुत्र कार्तिकेयने जन्म लिया था । उसने तारकासुर का वध किया, उसके तीन पुत्र थे तारका़क्ष कमलाक्ष और विद्युनमाली । उन्होंने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके लोह तांब्र और सुवर्ण ऐसे तीन आकाश गामी नगर वरदान में मांगे थे । स्वर्ग जैसी सब सुविधाएं वहा प्राप्त होती थी । वहां शिव मंदिर भी बनाया था, उनकी पूजा अर्चना चलती थी । जैसे छद्मी षडयंत्र कारी लोग धर्म परिवर्तन का कार्य करते हैं ना वैसा उनका कार्य चलता था । यज्ञमे देवता को आहुति देना बंद किया । इससे देवताओका सामर्थ्य कम हुआ । लोग धर्म विरोधी गलत रास्तेसे चलने लगे । उनका पारिपत्य तो करना चाहिए इसलिए सब देवता शिव जी की शरण मे चले गए । वे तिनो नगर जब एक लाईनमे आयेंगे तब एकही बाणसे उनका विद्वंस
करना संभव था । उसके लिए एक ख़ास अभिजीत मुहूर्त था ।
पृथ्वी का रथ, चंद्र सूर्य के पहिये, चार वेद के अश्व, बाण में विष्णु भगवान का सामर्थ्य-ब्रह्माजी सारथी ,बहुत वर्णन आया है । शिवजी शर संधान करके तैयार हुए । जब तिनो पूर एक लाईन में आये तब शिवजी ने बाण छोड़कर उनका विध्वंस किया । उसमे मय दानव भी था लेकिन वह शिवजी की शरण मे आया तो उसे बचा लिया । शिव जी का नाम त्रिपुरारी हो गया । वह दिन था आज की पौर्णिमा इसलिए हम यह पर्व हम मनाते है । यह कथा हो गयी उसका अध्यात्मिक रहस्य हम जान लेंगे । स्थूल शरीर लोहेका, सूक्ष्म शरीर तांब्रका और कारण देह सुवर्ण का नगर हो गया । हमें क्या करना चाहिए ? हमने शरीर धारण किया है । हम शरीर नहीं है इन तीनों शरीर का साक्षी मै हूँ ।
महाकारण देहकी ज्ञान दृष्टि प्राप्त हो जायेगी तो इन तीनों पूरका निरास होगा । तब हम आनंद महसूस करेंगे । यही ज्ञान हमारे सद्‌गुरु काडसिद्ध स्वामी ने दिया है । वेद मे तत्त्वमसि महावाक्य का बोध किया है । इसलिए श्रवण मनन निदिध्यासन से “मै आत्मा हूँ “ यही निश्चय हम करेंगे । इस से त्रिपुरारी पौर्णिमा का सच्चा ज्ञान हमें प्राप्त होगा |🙏जय काडसिद्ध । जय काडसिद्ध ॥

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