श्री सद्गुरुकृपा - भक्तोंके पुण्यकर्मसे महापुरुष भूतलपर जन्म लेते है। ये भगवान के प्रतिनिधी होते है । श्री संत सद्गुरु काडसिद्धेश्वर महाराज महत्भाग्यसे हमे सद्गुरुरुपमे प्राप्त हुए । दि. २३/४/१९०५ मे उनका जन्म हुआ । दि. २/४/२२ के दिन श्री विरुपाक्ष स्वामीने उनका दत्तकविधान संपन्न करके उन्हे सिद्धगिरी पिठके पिठाधिपतीके रुपमे नियुक्त किया । २९ सालकी उमरमे वे सिद्धरामेश्वर महाराजके अनुग्रहसे पावन हुए । आत्मलिंगका ज्ञान होनेसे उन्होने स्वरुप संप्रदायका प्रबोधन करना शुरु किया । यही कार्य वे ९७ वर्ष उमर तक करते रहे । महाशिवरात्र ,श्रावण, नवरात्र, पौर्णिमा सप्ता आदीके निमित्त संतसमागमका आयोजन शुरु किया । इस माध्यम से शुद्ध सनातन वैदिक ज्ञान का प्रसार किया । महाराष्ट्रमे अनेक मठ मंदिर निर्माण करके आत्मज्ञानका प्रबोधन किया और दि. १६/८/२००१ मे वे समाधिस्थ हुए । ज्ञानी महापुरुष की पहचान उनके कर्मयोग से होती है ।
मै १९६८ मे उनका अनुग्रह लिया । उनके सामने बैठके ही मैने प्रबोधन करनेकी शिक्षा ली। उनके बोधके अनुसार मै प्रबोधन करता हूॅं। जिज्ञासु भक्त अवश्य उसका लाभ ले।
श्री चरणरज - अरविंद पाटील.