Sabhee Parvat me nahee Maneek - सभी पर्वत मे नही माणिक - By Rashtrasant Tukdoji Maharaj

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भजन - सभी पर्वत मे नही माणिक, अगर होते मजा होती
रचना - राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज ( १९०९ - १९६८)
गायक - किसनराव परिसे
भजन
ह्या भजनात राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज आवूर्जुन सांगतात कि मोजकेच लोक चांगले असतात आणि सगळेच तसे असते तर मजा असती हे सांगण्या साठी महाराज अनेक उदाहरण या भजना मध्ये देतात ...
भजन
सभी पर्वत मे नही माणिक अगर होते तो मजा होती |
सभी शिपो के भीतर मे, निकलते है नही मोती || धृ ||
बनो मे वृक्ष लाखो है , फ़लो और फुल के सुंदर |
नही चंदन सभी मे है , महक सबमे कहा होती || १||
हजारो भेष-धारी है , अखाडे और संन्यासी |
साधू भी बिरलाद ही होते , अगर होते तो मजा होती ||२ ||
सभी धनवान मे सारे , नही होते ही सत - दानी |
अगर होते तो , बुद्धीया क्यू पलट खाती ||३||
भजन और कीर्तनो का भी , तमाशा यो ही है सारा |
अगर सच्चा भजन होता , तो जनता नाच क्यू जाती ||४||
वह तुकड्या दास कहता है , कहा कुछ है कहा कुछ है |
सभी तो नेक पथ पावे , तो दुनिया ठीक ही रहती||५ ||

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