Constitution of India: Women Empowerment | भारत का संविधान : महिला सशक्तिकरण

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राज्य सभा टीवी के ख़ास कार्यक्रम के इस अंक में आज बात भारत का संविधान : महिला सशक्तिकरण की. आज संविधान दिवस है.भारतीय संविधान हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था का आधार स्तंभ है. ये हमारा राष्ट्रीय धरोहर है। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने देश के संविधान को स्वीकार किया था. संविधान ने हमारे जीवन के समाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक, हर पहलू पर अमिट छाप छोड़ी है... लेकिन अगर बात महिलाओं की हो तो.. हमारे संविधान उन्हें गणतंत्र के शुरुआत से ही समान अधिकार दिए हैं. महिलाओं की स्थिति को बराबरी का रखने में संविधान में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा गया है. जेंडर समानता का सिद्धांत भारतीय संविधान की प्रस्‍तावना, मौलिक अधिकारों, मौलिक कर्तव्‍यों और नीति निर्देशक सिद्धांतों में प्रतिपादित है. संविधान महिलाओं को न केवल समानता का दर्जा प्रदान करता है..बल्कि राज्‍य को महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए सकारात्‍मक कदम उठाने का अधिकार देता है. समय-समय पर संविधान में महिलाओं की स्थिति को मजबूत करने के लिए संशोधन किए जाते रहे हैं, क्योंकि इस पुरुष-प्रधान समाज में महिलाओं के साथ लैंगिक आधार पर किए जा रहे भेदभाव को समाप्त करने के लिए उनके अधिकारों को न केवल सुनिश्चित करना जरूरी है बल्कि उन अधिकारों का क्रियान्वयन भी आवश्यक है. तो आज हम बात करेंगे की कैसे हमारे संविधान ने महिलाओं को सशक्त सुदृढ़ बनाया है, लेकिन क्यों अधिकार होने के बावजूद उन्हें भेदभाव और उत्पीड़न से गुज़रना पड़ता है.

Anchor:- Teena Jha

Producer:- Sagheer Ahmad

Guest Name:-

1. Rekha Aggarwal, Advocate, Supreme Court
रेखा अग्रवाल, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट

2. Siddhartha, Advocate, Supreme Court
सिद्धार्थ, वकील, सुप्रीम कोर्ट

3. Pinky Anand, Senior Advocate, Supreme Court
पिंकी आनंद, वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट

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