BRHAD DRAVY SANGRAH वृहद् द्रव्य संग्रह, प्रस्तुति नीतु जैन

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BRHAD DRAVY SANGRAH वृहद् द्रव्य संग्रह, प्रस्तुति नीतु जैन
द्रव्यसंग्रह
A book written by Acharya Nemichand Siddhant Chakravarti. आचार्य नेमिचन्द सिद्धांत चक्रवर्ती का तत्व व द्रव्य प्रतिपादक एक प्रसिद्ध ग्रंथ। समय ई. सन् 900 से 1000
जैनधर्म में तीर्थंकर भगवान ने दिव्यध्वनि में बताया है कि-"इस संसार को न कोई बनाने वाला है,न कोई चलाने वाला,न कोई नष्ट करने वाला।" जीव, अजीव, धर्म, अधर्म, आकाश, और काल इन छह द्रव्यों का समूह ही संसार है। जो शाशवत है। अनादि-अनन्त है। इन छह द्रव्यों से सारे जैन जगत् (समाज) को अवगत कराने के लिये श्रीमद् नेमिचन्द्र सिद्धान्तिदेव ने बृहद्द्व्यसंग्रह नामक ग्रन्थ की रचना की थी।
श्रीमद् नेमिचन्द्र सिद्धान्तिदेव मालव प्रान्त के थे। वे राजा भोज के समकालीन थे। श्री सोमदत्त श्रेष्ठी को पढ़ाने के लिए या उनके निमित्त से इस ग्रन्थ की रचना हुई है। मुनिसुव्रत तीर्थंकर के मंदिर में बैठकर ये ग्रन्थ लिखा गया है।अर्थात् उस समय मुनिराज चैत्यालय में रहते थे
बृहद् द्रव्यसंग्रह ग्रन्थ को द्रव्यसंग्रह ऐसा सम्बोधा जाता है। ये ग्रन्थ प्राकृत भाषा में लिखा गया है। प्राकृत भाषा जैनों की मातृभाषा ही है।ये सहजबोधगम्य, नैसर्गिक,सरल,सहज व मृदु है।प्रकृतेर्भवं प्राकृतं निसर्गतः बनाई गई भाषा ही प्राकृत भाषा है।
इसमें कुल मिलाकर तीन अधिकार हैं।प्रथम अध्याय में २७ गाथा हैं। उनमें पहले १४ गाथाओं में जीव का निश्चय व्यवहारात्मक स्वरूप स्पष्ट किया गया है।पश्चात् १३ गाथाओं में पुद्गल , धर्म,अधर्म आकाश व काल इन द्रव्यों का विस्तृत वर्णन है। द्वितीय अध्याय में गाथा क्र.२८ से ३८ इन ११ गाथाओं में सात तत्त्व व पुण्य-पाप इनके द्रव्य व भाव की अपेक्षा से भेद प्रभेदों का वर्णन किया है। तृतीय अध्याय में गाथा क्र. ३९ से ५८ इन २० गाथाओं में व्यवहार व निश्चय मोक्षमार्ग और मोक्ष के साधकतम साधन ध्यान ये विषय का मूलभूत विवेचन किया है। ऐसा ये लघुकाय ग्रन्थ अब मुलतः पठनीय है। सभी बारम्बार इसका वाचन-चिन्तन -मनन करके वर्तमान और भविष्यकालीन जीवन को सुखी बनायें।

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