"राग की तस्वीर" के आख्यान में हम बात करेंगे रात्रि के प्रथम प्रहर में गाए जानेवाले गाए कुछ रागोंकी - राग भूप या भूपाली, राग यमन, राग शुद्धकल्याण तथा राग केदार. इस समय पर, यानि कि रात के नौ-दस बाजे गाये जानेवाले राग इतने प्रभावशाली हैं, कि मेरे मन में यह भावना जागृत हो उठती है मानों राग रागिनियों का दरबार सज चुका हो। यही तो है इन रागों की महिमा, और इसीलिए, आइये आपको आमंत्रित करती हूँ 'रागन के दरबार’ में |
राग भूप - यह है राजा... सिंहासनाधिष्ठित, अभिषिक्त, चक्रवर्ती, सेनाधुरंधर, धीरगंभीर, विचारी, विवेकी, संयमी, न्यायी, कूटनीतिक... राजप्रासाद के सारे सुखविलासों में रहकर भी उनसे निर्लिप्त, विरागी! खानपान, रहन सहन, ऐषोआराम के सारे साधन, जो उसके सामने हाथ जोड़कर खडे हैं, उन्हें नकारनेवाला, जनता के हित को खुद के सुखों से ऊपर माननेवाला प्रजाहितदक्ष, कर्तव्यपरायण राजा! मुझे भूपाली का व्यक्तित्व जंगल के राजा शेर बब्बर के समान प्रतीत होता है।वैसा ही रोबदार, सामर्थ्यशाली, बुद्धिमान, संयत, अभिजात, तथा अखंड सावधानी बरतनेवाला... कठोर शासक.
राग केदार - मेरे मन में राग केदार की छबि है एक युवा राजकुमार की, Prince की, इसलिए उसे राजा भूप के साथ जोड़ दिया है। यह युवराज बखूबी जानता है, कि अभी सिंहासनपर बैठे महाराजाजी का उत्तराधिकारी वही है। यह युवराज अभी अभी यौवन में पदार्पण कर रहा है। इसलिए पूर्णत: परिपक्व नहीं। राजनीतिकी कुटिलता तथा अन्य उतार चढ़ावों से वह अभी अनजान है। इसलिए जीवन उसे हरे भरे बगीचे समान ही प्रतीत हो रहा है। शुद्ध और तीव्र - दोनों मध्यमों के अन्योन्य क्रीडा द्वारा उसकी यौवनसुलभ प्रणयभावना साकार हो रही है। ऐसा है यह युवराज 'केदार' .... उल्लास, उत्साह तथा यौवन से भरा, दौडने के लिए बेताब, रफ्तार के लिए आतुर, शुभलक्षणी घोडा!
राग शुद्ध कल्याण - भूपाली के ही स्वर लेनेवाला राग, किंतु इसके अवरोह में शुद्ध निषाद और तीव्र मध्यम के अल्प प्रयोग के कारण कल्याण की छटा झलकती है। भूपाली के राजस, तेजस्वी व्यक्तित्व के आगे इस रागकी छवि कुछ मृदुल और धीरोदात्त प्रतीत होती है। भूपाली का रंग अगर केसरिया माना जाय, तो शुद्ध कल्याण का गेरुआ है। भूप अगर चक्रवर्ती राजा है, तो शुद्ध कल्याण है उसका सलाहगार, सचिव या राजगुरू! इसके व्यक्तित्व में योगी के प्रखर वैराग्य की अपेक्षा औदार्य, ममत्व तथा संतत्व दिखाई देते हैं। राजस गुणों से ज़्यादा सात्विक गुण प्रकाशमान होते हैं। भगवान बुद्ध जिस करुणा - compassion - अनुकंपा के लिए जाने जाते है उसके अस्तित्व की अनुभूति मिलती है।
राग यमन - रागों का भीष्म पितामह! राजर्षी... राजा कम, ऋषी अधिक! इस राग की छबि मुझे किसी अथाह महासागर के समान प्रतीत होती है; सागर जैसे दुनिया का सारा निचोड़ अपने अंदर समा सकता है, वैसे ही यमन का सागर अपने अंदर संगीत की दुनिया के सारे भाव, सारी भावनाएँ समा सकता है। परंतु इस महासागर की में डूब जाने का, भटक जाने का भय या डर हमें नहीं लगता, उसकी गहराई से हमें छोटापन महसूस नहीं होता! बल्कि इसकी छबि दिलासा देनेवाली, शांति, अमन, सुकून और चैन दिलानेवाली है। इसका व्यक्तित्व ऐसा आश्वासक है, कि केवल इसका सान्निध्य ही हमारी हरएक दुविधा दूर करने के लिए पर्याप्त हो सकता है। रात के अँधेरे के साथ हमारे मन में पदार्पण कर रही भय, आशंका, असुरक्षा इत्यादि अनेक नकारात्मक भावनाओं को दूर हटाने के लिए यमन के स्वर आश्वासक सिद्ध होते हैं।
Credits:
Written and Presented by : Dr. Ashwini Bhide Deshpande
Creative Ideation: Amol Mategaonkar
Sound Recording & Mixing: Amol Mategaonkar
Video Recording, Color Grading: Kannan Reddy
Video Editing: Amol Mategaonkar
Special thanks: Dr. Vinay Mishra, Shruti Abhyankar
Opening Title Photo Credit: Varsha Panwar
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