Raag Ki Tasveer | Puriya Dhanashree, Purvi, Gauri, Shree, Basant | Dr. Ashwini Bhide Deshpande

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नमस्ते! “बतियाँ दौरावत" के श्रोताओं का आज की 'राग की तस्वीर’ इस आख्यान में एक बार फिर प्यार भरा स्वागत!

आज हम सायंकालीन संधिप्रकाश के समय के कुछ चुनिंदा रागों की तस्वीरे खींचने का प्रयास करेंगे। जी हाँ... आपने ठीक सुना... संधिप्रकाश जब दिन और रात की संधि होती है तब का समय है, इसलिए दिन में दो बार होगा – सुबह सूर्योदय तथा शाम को सूर्यास्त के समय। आज सायंकालीन संधिप्रकाश के समय के जो राग हम देखेंगे – वे हैं पूरिया धनाश्री, गौरी, पूर्वी, श्री तथा बसंत। इन पाँचों रागों में जो स्वर उपयोग में लाये जाते हैं, वे समान हैं; रे, ध कोमल और - सायंकालीन होने की वजह से - म तीव्र!.... या यूँ कहिए, कि म तीव्र होने की वजह से सायंकालीन!

सबसे पहले देखेंगे पूरियाधनाश्री की तस्वीर| कारुण्य से भरा हुआ यह राग - बल्कि यह रागिनी मानों किसी विपदा में फँसा भक्त ईश्वर के पास लीन-दीन होकर दया की याचना कर रहा हो । सायंकालीन समय की उदासी तथा अवसाद को इस रागिनी के माध्यम से बखूबी अहसास कराया जा सकता है; परंतु ऐसा प्रतीत होता है, कि यह रागिनी खुद उस उदासी के केंद्रबिंदू पर है।

वहीं, इसी की बहन गौरी को देखिए... यह अपनी दुखी अवस्था के सामने लीन है, परंतु दीन एवं लाचार नहीं। अपनी कठिनाइयों से स्वयं जूझने के लिए वह तय्यार है। किसी अन्य व्यक्ति - ईश्वर की भी - की मदद की उम्मीद नहीं कर रही, बल्कि स्वयं संभलने को राजी है। पूरियाधनाश्री के भावुक, संवेदनशील, कमज़ोर तथा हतबल व्यक्तित्व की अपेक्षा गौरी का स्वभाव स्वतंत्र, स्वाधीन प्रतीत होता है ।

इन दो रागिनिओं की एक बहन है पूर्वी। जब कि इन तीनों रागिनिओं के स्वर समान ही हैं, परंतु पूर्वी के माहौल में लीनता, दीनता, दुख, संकट, उसे निवारनेके लिए की गई याचना इन सारी भावनाओं का नामोनिशान नहीं। मुझे पूर्वी राग की तस्वीर ऐसे प्रतीत होती है, मानों स्नान कर शुचिर्भूत हुई नायिका अपने हृदयेश्वर की पूजा रच रही हो। हृदयेश्वर उसके निकट हों या ना हों, नायिका की समर्पित मनःस्थिति में कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।और इस समर्पण में संतोष, समाधान है, बेबसी नहीं।

इन तीन रागिनियों के ही स्वर लेनेवाले अन्य दो राग हैं- श्री तथा बसंत। इन दोनों रागों के स्वभाव तथा इनके दायरे के बारे में मैंने 'बंदिश की कहानी’ तथा 'रितुराज बसंत' इन आख्यानों के अंतर्गत विस्तार से चर्चा की है।परंतु चूँकि हमारी यह धारणा है, कि एक ही राग की अनेक तस्वीरें संभव भी होती हैं। इसलिए, आज इन दोनों रागोंकी और एक एक तस्वीर की झलक पेश करूंगी|

आज के आख्यान में, बसंत आगमन का आनंद उठाते हुए बसंत की ही बंदिश से समापन करेंगे।

Credits:
Written and Presented by : Dr. Ashwini Bhide Deshpande
Creative Ideation: Amol Mategaonkar
Sound Recording & Mixing: Amol Mategaonkar
Video Recording, Color Grading: Kannan Reddy
Video Editing: Amol Mategaonkar
Special thanks: Raja Deshpande
Opening Title Photo Credit: Varsha Panwar

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