कहानी प्रेमनाथ के एम्पायर टॉकीज की- 2

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प्रेमनाथ और जबलपुर में उनकी टॉकीज एम्पायर एक दूसरे के पर्याय रहे हैं। अगस्त 2024 के प्रथम सप्ताह में जबलपुर के जिला प्रशासन ने जर्जर होती एम्पायर टॉकीज को खतरनाक मानते हुए ढहा दिया था। प्रेमनाथ और उनकी एम्पायर टॉकीज के संबंध में तरह-तरह की भ्रांतियां रही हैं। सोशल मीड‍िया में प्रेमनाथ और एम्पायर टॉकीज के बारे में आधारहीन बातें तैरती रहती हैं। जबलपुर सफ़रनामा ने प्रेमनाथ व एम्पायर टॉकीज के संबंध में डीपी (दुर्गाप्रसाद बाजपेयी) से लंबी बातचीत की। डीपी बाजपेयी लगभग तीन दशकों से अध‍िक समय तक एम्पायर टॉकीज के प्रबंधन से जुड़े रहे। डीपी बाजपेयी के प्रेमनाथ से घनिष्ठ संबंध थे। एम्पायर टॉकीज के महत्वपूर्ण निर्णयों में वे प्रेमनाथ के साथ रहते और उनको क्र‍ियान्व‍ित भी करते थे। डीपी बाजपेयी के साथ की गई बातचीत में एम्पायर टॉकीज नई जानकारी मिली। डीपी बाजपेयी से बातचीत तीन भागों में देखी जा सकेगी।
यह बातचीत का दूसरा भाग है। इस एपीसोड में एम्पायर टॉकीज के साथ प्रेमनाथ के बंगले प्रेम-बीना के बारे में डीपी बाजपेयी ने महत्वूपर्ण जानकारी दी है। डीपी बाजपेयी ने बातचीत में बताया कि प्रेमनाथ की नर्मदा नदी के प्रति अगाध श्रद्धा थी। प्रेमनाथ तरोताजा होने के लिए बंबई से जबलपुर सिर्फ इसलिए आते थे कि वे नर्मदा के दर्शन कर सकें और ताजगी के साथ बंबई जाकर फिल्मों में काम कर पाएं।
एपीसोड में प्रेमनाथ के पुत्र प्रेमकिशन और कैलाश मोंटीनाथ की एम्पायर टॉकीज में भूमिका के बारे में नया खुलासा हुआ है।
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