अरावली पर्वत और थार रेगिस्तानी क्षेत्र का वन्य जीवन।—Hindi Documentary

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ये एक वलित पर्वत श्रृंखला है. अब आप पूछेंगे कि वलित मने? देखिए पहाड़ों को खोदकर ख़त्म करने में तो कुछ सालों और मानव की बेलगाम महत्वाकांक्षाओं के अलावा ज़्यादा कुछ नहीं लगता लेकिन इनके बनने का हिसाब-किताब माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होए सरीखा है.

तो पृथ्वी के अंदर की उथल-पुथल के चलते जब धरातल की चट्टानें मुड़कर पर्वत बनाती हैं तो वे वलित पर्वत (Fold mountain) कहलाते हैं.

#थारकारेगिस्तान #अरावलीपर्वतमाला

आप टेक्टॉनिक प्लेट्स के बारे में तो सुनते रहते होंगे. जिनके चलते गाहे-बगाहे भूकंप आते रहते हैं. बस उन्हीं प्लेटों के चलते अरावली पर्वत श्रृंखला बनी. इसलिए ये एक वलित पर्वत श्रृंखला की श्रेणी में आती है.

#अरावली से जुड़े कुछ और फैक्ट्स –
#692 किलोमीटर लंबी अरावली पर्वत श्रृंखला भारत के 4 राज्यों (हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात) में फैली है लेकिन इसका लगभग 80% भाग राजस्थान में है. राजस्थान में अरावली को आडावाळा डूंगर कहा जाता है. ये रेंज स्पेसिफिकली गुजरात के खेड़ ब्रह्मा से शुरू होकर अजमेर, जयपुर होती हुई हरियाणा के दक्षिणी भाग में प्रवेश करके दिल्ली के दक्षिणी भाग तक जाती है. दिल्ली पहुंचते-पहुंचते इसकी ऊंचाई कम होते-होते मैदान में बदल जाती है.

#मेनली तीन भागों में बंटी है अरावली रेंज – जरगा रेंज, हर्षनाद रेंज, दिल्ली रेंज.

#अरावली में ज़्यादातर जंगल इसके दक्षिण के पहाड़ों में पाए जाते हैं. उत्तर की पहाड़ियां पथरीली हैं.

#सिरोही से शुरू होकर खेतड़ी तक अरावली अबाध्य है और आगे उत्तर में छोटी-छोटी श्रृंखलाओं के रुप में दिल्ली तक फैली हुई है.

भील जैसी कितनी ही आदिवासी प्रजातियां इसमें रहती आई हैं. उनका एक सेल्फ-सस्टेंड समाज है थैंक्स टू अरावली. (सेल्फ-सस्टेंड मने ऐसा समाज जिसे न बाहरी सहायता की ज़रूरत है, न वो लेते हैं

अरावली पर्वत श्रृंखला नॉर्थ में हिमालय और साउथ में नीलगिरी के बीच सैंडविच बनी हुई है. और इस पूरे सैंडविच के चलते ही रेत और थार का रेगिस्तान भारत के अंदर तक नहीं पहुंच पाता. जैसे ही ये सैंडविच टूटा हम सब अपने को ‘सैंड’ विच पाएंगे. यानी रेत के बीचों-बीच पाएंगे और ऐसा होना शुरू हो गया है.

यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धूलभरी आंधियों की आवृति पहले के मुकाबले में कुछ ज़्यादा ही बढ़ गई है. ऐसा नहीं है कि ये सिलसिला अभी कुछ सालों से है. बचपन में भी हमने इन आंधियों को झेला है. विशेषत गर्मी के मौसम में. हमारे पेरेंट्स तब इसे भूत बताकर इससे दूर रहने की हिदायत दिया करते थे. अब ये आधियां उन नेताओं की तरह फ्रीक्वेंट हो गई हैं जो पांच सालों के दौरान तो केवल किसी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में या किसी प्रोजेक्ट के शिलान्यास के वक्त में दिखाई दे रहे थे, लेकिन अब चुनावों के वक्त उनके दौरे अचानक कुछ ज़्यादा ही ‘हवाई’ हो गए हों.

मौसम के नज़रिए से भी अगर देखा जाए तो साफ़ नज़र आता है कि अरावली का ग्रीन एरिया अब लगातार सूखे से ग्रस्त होने लगा है. राजस्थान में बहने वाली आधिकतर नदियां सूख गई हैं और मौसमी नदियां बन कर रह गई है. जबकि एक वक्त था कि इन नदियों में वर्ष भर पानी रहता था.

थार मरुस्थल (Thar Desert), जो महान भारतीय मरुस्थल (Great Indian Desert) भी कहलाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तरी भाग में विस्तारित एक शुष्क व मरुस्थल क्षेत्र है। यह भारत और पाकिस्तान में 200,000 किमी2 (77,000 वर्ग मील) पर विस्तारित है। यह विश्व का 17वाँ सबसे बड़ा मरुस्थल है और 9वाँ सबसे बड़ा गरम उपोष्णकटिबन्धीय मरुस्थल है। थार का 85% भाग भारत और 15% भाग पाकिस्तान में है।[2]

थार का 61.11% भाग राजस्थान राज्य में आता है। जिनमे राजस्थान के हनुमानगढ़,बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर,बाड़मेर , हालांकि यह मरुस्थल गुजरात, पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में भी फैला हुआ है। पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में थार चोलिस्तान में विस्तारित है। थार का पश्चिमी भाग मरुस्थली कहलाता है और बहुत शुष्क है, जबकि पूर्वी भाग में कभी-कभी हलकी वर्षा हो जाती है और कम रेत के टीले पाए जाते हैं। अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर थार मरुस्थल स्थित है। यह मरुस्थल बालू के टिब्बों से ढँका हुआ एक तरंगित मैदान है।

थार मरुस्थल अद्भुत है। गर्मियों में यहां की रेत उबलती है। इस मरुभूमि में 52 डिग्री सेल्शियस तक तापमान रिकार्ड किया गया है। जबकि सर्दियों में तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। जिसका मुख्य कारण हैं यहाँ की बालू रेत जो जल्दी गर्म और जल्दी ठंडी हो जाती है। गरमियों में मरुस्थल की तेज गर्म हवाएं चलती है जिन्हें "लू" कहते हैं तथा रेत के टीलों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती हैं और टीलों को नई आकृतियां प्रदान करती हैं। गर्मी ऋतु में यहां पर तेज आंधियां चलती है जो रेत के बड़े-बड़े टीलों को दूसरे स्थानों पर धकेल देती है जिससे यहां मरुस्थलीकरण की समस्या बढ़ती जाती है।

जन-जीवन के नाम पर मरुस्थल में मीलों दूर कोई-कोई गांव मिलता है। थार के मरुस्थल में अगर कोई शहर विकसित हुआ है तो वह शहर जोधपुर शहर है यहां हिंदू एवम मुसलमान धर्म के लोग ही निवास करते हैं प्रकृति की मार को सहन करते हुए भी यहां पर कुछ जातियां समृद्धि के चरम को छू रही है उदाहरण के लिए राजपुरोहित समाज इस समाज के लोगों ने यहां पर खूब तरक्की की है यहां विश्नोई समाज के लोग वन एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करते हुए पाए जाते हैं । थार के मरुस्थल में रहने वाले लोग वीर एवं साहसी होते हैं लोगों में देश प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी होती है पशुपालन यहां का मुख्य व्यवसाय है पशुओं में गाय बैल भैंस बकरी भेड़ घोड़े गधे इत्यादि जानवरों को पाला जाता है मुख्य रूप से यहाँ ऊंट पाले जाते है

अरावली कितने राज्यों में फैली हुई है?

राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का लगभग कितना प्रतिशत भाग मरुस्थल है?

अरावली पर्वतमाला में कौन कौन से जिले आते हैं?

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