Har ki dun Trek, Valley of God Uttarakhand!

Описание к видео Har ki dun Trek, Valley of God Uttarakhand!

Hello Guys ! My name is Pinkesh Rawat
I am here with my new video titled - "Har ki dun Trek, Valley of God Uttarakhand!"
Har ki dun is a cradle shaped hanging valley in uttarakhand. The region is surrounded by green bugyals(High altitude Bugyals). It is surrounded by snow covered peaks and alpine vegetation. It is connected to Baspa Valley by the Borasu Pass.
The Valley is about 3566m(11700ft) above mean sea level and is snow covered from october to march.
Sankri is the last place before starting a trek with a stable mobile signals.

हर की दून (जिसका अर्थ ईश्वर की घाटी है) | उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले मे यमुना की सहायक रुपिन व सूपिन नदियों के आस-पास फतेह पर्वत की गोद मे बसा क्षैत्र है। यह उच्च हिमालय के निकट स्थित एक अत्यन्त दुर्गम अन्चल है। उत्तर मे हिमाचल के किन्नोर व पूर्व मे तिब्बत से सटा हर की दून का इलाका अपने भीतर गोविन्द पशु विहार वन्य जीव अभयारण्य को समेटे है। यहाँ यात्री ट्रैकिन्ग के लिये आते हैं। घाटी की पृष्ठभूमि में २१००० फ़ीट की ऊंचाई वाली स्वर्गारोहिणी चोटी भी दिखाई देती है, जिसके बारे में मान्यता है कि महाभारत काल में युधिष्ठिर अन्य पाण्डवों सहित इसी शिखर से स्वर्ग को गये थे।

यह क्षेत्र गढ़वाल हिमालय में एक झुकाव के आकार की घाटी है और हिमाच्छादित चोटियों और अल्पाइन वनस्पतियों से घिरा हुआ है। यह बोसासू दर्रे द्वारा बसपा घाटी से जुड़ा हुआ है। यह घाटी औसत समुद्र के स्तर से लगभग ३५०० मीटर की ऊंचाई पर है और अक्टूबर से मार्च तक बर्फ से ढंकी रहती है। घाटी तालुका से लगभग २५ किमी दूर है। घाटी में ट्रेकिन्ग यात्री आते हैं और इसका ट्रेक, तालुका गांव से आरम्भ होकर गंगाद, ओसाला और सीमा से गुजरता है। यह आमतौर पर दो चरणों में किया गया दो दिन का अभियान होता है। पहला चरण तालुका से सीमा ओस्ला तक है, और दूसरा चरण सीमा/ओस्ला से हर कि दून तक है। वापसी मार्ग एक ही है।

यमुनोत्री मार्ग पर नौगांव से बांए मुड़कर यात्री बस द्वारा पुरोला,मोरी होते हुए नेटवाड़ पहुँच कर आगे जीप आदि हल्के वाहनों से सांकरी ग्राम तक जा सकते हैं। इससे आगे का सारा मार्ग अत्यन्त मनोरम है, किन्तु उतना ही कठिन भी है और पैदल ही तय करना पड़ता है। सूपिन नदी के किनारे-किनारे तालुका,गन्गाड़,ओस्ला आदि ग्रामीण बस्तियों तथा राजमा, आलू व चौलाई के खेतों के पास से निकलते हुए, कलकत्ती धार नामक थका देने वाली चढा़ई को पार करके अन्त मे हर की दून में पहुँचते हैं।

इस घाटी का सौन्दर्य अलौकिक है। यहां से लगभग दस कि•मी• आगे स्वर्गारोहिणी पर्वत के चरणों मे स्थित जौन्धार ग्लेशियर ही सूपिन नदी का उद्गम है। इस पूरे पैदल यात्रा मार्ग मे गढ़वाल मन्डल विकास निगम द्वारा उचित मूल्य पर पर्यटकों के लिए रहने-खाने की पर्याप्त व्यवस्था है। पौराणिक मान्यता है कि स्वर्गारोहिणी पर्वत से होकर ही युधिष्टर स्वर्ग को गये थे।

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