सुंदरनगर देवता मेला 2024: अद्भुत अनुभव

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देव दर्शन: बेल में अंगारों पर खेले देव गुरु, भव्य जलेब के साथ सुंदरनगर देवता मेला 2024 संपन्न
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राज्य स्तरीय सुकेत देवता मेला 2024 हुआ सम्पन्न

अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी मंडी ने शोभा यात्रा में की शिरकत

विस्तार
पांच दिवसीय राज्य स्तरीय सुकेत देवता मेला 2024, बुधवार को समाप्त हो गया। समापन समारोह की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी मंडी डाॅ मदन कुमार ने की।
उन्होंने महामाया मंदिर में देवी देवताओं की पूजा अर्चना की तथा महामाया मंदिर से जवाहर पार्क मेला ग्राउंड तक देवी देवताओं की भव्य शोभायात्रा में भी शामिल हुए। तत्पश्चात कम्युनिटी हाॅल में कन्या पूजन किया। उन्होंने राज्य स्तरीय सुकेत देवता मेला के अवसर पर प्रकाशित स्मारिका का भी विमोचन किया और मेले में आए सभी देवी देवताओं को चादरें भी भेंट की।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मेले एवं त्यौहार अपने में अनूठे होेते हैं और यह राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए हैं। सुकेत देवता मेला की बधाई देते हुए कहा कि इस उत्सव की बहुमूल्य परम्पराओं को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित रखा जाना चाहिए, क्योंकि यह एक राज्य के रूप में हमारी पहचान की पुष्टि करती हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वर्ष भर उत्सव एवं त्यौहार पूरे उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। देव संस्कृति और इसकी विरासत हमारी राष्ट्रीय पहचान को परिभाषित करने के साथ ही हमारे मूल्यों, आस्था और आकांक्षाओं को प्रदर्शित एवं आकार भी प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि मेले और त्यौहार लोगों में नव उर्जा का संचार करते हैं और हमें इनमें सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।
इस अवसर पर मेला कमेटी अध्यक्ष एवं उपमंडलाधिकारी सुंदरनगर गिरीश समरा ने मुख्यातिथि का स्वागत किया।

इस अवसर पर भूषण, तहसीलदार सुंदरनगर अंकित शर्मा, बीडीओ विवेक चौहान, डीएसपी सुंदरनगर भारत, ईओ नगरपरिषद सुंदरनगर हितेश शर्मा, सीडीपीओ शिव सिंह वर्मा, प्रधान सुकेत देवता कमेटी अभिषेक सोनी, देवी देवताओं के साथ आए देवलू, विभिन्न विभागों के अधिकारी कर्मचारीगण सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

देव भूमि में देव दर्शन यह हिमाचली संस्कृति को एक अलग पहचान प्रदान करती है। देव आस्था को लेकर उमड़ी लोगों की भीड़ को यह अवसर नवरात्रों के दौरान साल में एक बार ही हासिल होता है। जिसमे करीब दो सौ देवी देवता जो सुकेत रियासत के करीब एक सौ किलोमीटर दूर के दायरे के पहाड़ी इलाकों से आते है। पांच दिन चलने वाले इस आयोजन में शामिल होने के लिए कई दिन पैदल यात्रा करने के बाद यह पहुंचते है। यहां अवसर सरकते समान प्रतीत होता है जहां देवी देवता अपने श्रद्धालुओं को आशीष प्रदान करते हैं। सुकेत के राजा के दौर से मूल महुनाग करसोग के देव अतिथिय समारोह के रूप में मनाया जाता है। इसका भी एक अलग इतिहास है।

देव बेल में कसर कसूर का सफाया किया जाता है।
देवी देवता अपने श्रद्धालुओं को आशीष प्रदान करने साथ बेल पूजा विशेष होती हैं।
इसके अलावा रात्रि ठहराव के दौरान देव बेल का भी आयोजन होता है। यह एक खास पूजा विधि होती है, जिसमे लोगों की समस्याओं और कसर कसूर के सवालों के निवारण कर जादू टोना आदि से मुक्ति प्रदान की जाती है।
इस दौरान देवी देवता के गुर, जो विशेष अधिकार शक्ति प्राप्त पुजारी होते है, वह अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं। यह खास पूजा विधि पहाड़ी इलाकों की एक विशेष विधि है। जो अन्य क्षेत्रों से अलग है। आस्था का यह सैलाब पांच दिन लगातार चलता है। जो मेले के समापन के बाद देवताओं के लोगों के घरों में डाले गए पड़ाव के दौरान भी चलता रहता है।
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सुंदरनगर मेले से देवी देवताओं के अद्भुत नृत्य
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