DR CHETNA PATHAK

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रचनाएं- ड. प्रभा अत्रे

राग नट भैरव-विलम्बितख्याल (एक्ताल)
स्थाई- जागो हे नटराज महाराज, कैसे पाउं तोरे चरन.
अंतरा- नैया पडी मोरी मझधार, तुम मोरे आधार.

द्रुत ख्याल-तीनताल
स्थाई- बाजे डमरु डम शिव नाचे रे.
संग नाचे सुत गणेश, पार्वती अर्धंग शिव नाचे रे.

द्रुत एकताल –तराना
स्थाई- तादारे तदारे दानि दानि, दारे तदारे दानि दानि दानि.
अंतरा- ओदे तनन दिम दारे दिम,तादारे दारे दारे दिम.

राग परमेश्वरी
मध्यलय –रुपक
स्थाई-तुम बिन मोहन, मै तो भई मोहन.
अंतरा-नैना भए सावन, रैना भई जोगन,मै तो भई जोगन.

द्रुत तराना- तीन ताल
स्थाई- तानोम तदीम दीम तन देरेना, तदारे तदारे दारे तनन दिम दिम.
अंतरा- ओदानि दानि दानि तन देरेना, तदरे दारे तदिम तनन तन दिम
तदारे तदारे दारे तनन दिम दिम.










राग कनकांगी- ठुमरी- दीपचंदी
स्थाई- लागे ना मोरे नैन, बैरन हो गई रैन, पिया बिन
अंतरा- आवन कह गए अजहुं न आये,
कैसे कटे यह रैन,पिया बिन.

दादरा-
स्थाई- श्याम बिन पाऊं मैं पाऊं कैसे चैन.
अंतरा- 1. गोकुल ढुंढी मथुरा ढूंढी,ढूंढ फिरी सारी रैन, सारि-सारी रैन सारि-सारी रैन.
2. जनम जनम की प्रीत पुरानी, कासे कहुं जी के बैन, कासे कहूं बैन कासे कहूं बैन.

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