Kedarnath: जहां लोग आत्म-विसर्जन को आया करते थे | विस्तार | केदारनाथ 2024

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केदारनाथ! बर्फीले पहाड़ों की ओट में बसा भगवान शिव का वो धाम, जहां हर साल लाखों श्रद्धालू दर्शन के लिए पहुँचते हैं. लेकिन साढ़े तीन हज़ार मीटर की ऊँचाई पर बसे इस मंदिर तक पहुंचना कई लोगों के लिए जानलेवा भी साबित होता है. हर साल केदारनाथ आने वाले दर्जनों यात्रियों के लिए ये उनकी अंतिम यात्रा साबित होती है. इस साल भी यात्रा के शुरुआती एक महीने में ही केदारनाथ आए 49 यात्रियों की मौत हो चुकी है. उत्तराखंड सरकार के लिए ये हमेशा एक चुनौती रहती कि केदारनाथ में होने वाली मौतों को कैसे कम से कम किया जाए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब केदारनाथ में कई यात्री अपने प्राण त्यागने के लिए ही आया करते थे. केदारनाथ मंदिर के पास ही महापंथ चोटी के रास्ते में एक पहाड़ी धार है आती है जिसे ‘भैरव-झांप’ कहा जाता है. एक समय था जब कई श्रद्धालू इस पहाड़ी पर सिर्फ़ इसलिए पहुँचते थे ताकि यहां से कूद कर अपने प्राण त्याग सकें. मान्यता थी कि यहां आत्म विसर्जन करने से मोक्ष मिलता है.

क्या थी ये मान्यता? इस पर रोक कैसे और कब लगी? क्या है केदारनाथ का इतिहास और क्यों ये मंदिर देश के सबसे चर्चित मंदिरों में शामिल है. इन तमाम सवालों के जवाब तलाशेंगे विस्तार से.

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