"बीती विभावरी जाग री" कविता की व्याख्या/ "Biti Vibhavari Jaag Ri" Kavita Ki Vyakhya

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जयशंकर प्रसाद की कविता "बीती विभावरी जाग री" की व्याख्या की गई है। इसके माध्यम से कवि परतंत्र भारत की सोई हुई जनता को जगाने का प्रयास कर रहे है।

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