Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть 1087)श्रीवत्सलांछन त्रिदेव की परीक्षा | Arvind P Patil

  • Kadsiddha Maharaj Bodhamrut!
  • 2025-02-16
  • 58
1087)श्रीवत्सलांछन त्रिदेव की परीक्षा | Arvind P Patil
  • ok logo

Скачать 1087)श्रीवत्सलांछन त्रिदेव की परीक्षा | Arvind P Patil бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно 1087)श्रीवत्सलांछन त्रिदेव की परीक्षा | Arvind P Patil или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку 1087)श्रीवत्सलांछन त्रिदेव की परीक्षा | Arvind P Patil бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео 1087)श्रीवत्सलांछन त्रिदेव की परीक्षा | Arvind P Patil

🕉👏श्री सद्‌गुरु कृपा-(प्र.१०८७ दि. १६/२/२५ ) बच्चे लोग खेल खेल में पूँछते है, कौन श्रेष्ठ माता या पिता ? चलो देख लेंगे इस प्रवचन के माध्यम से |
सब ऋषि गण बैठे थे तब उनके दिमाग़ में आया ये अपने उत्पत्ति स्थिति और लय करनेवाले तीनों देवमे कौन श्रेष्ठ है?
चलो देख लेंगे । उन्होंने यह कार्य भृगु ऋषि को सौंप दिया ।
भृगु ऋषि ब्रह्म देव के पास गए । उन्हें अच्छा लगा अपना बेटा मिलने आया है, कुछ प्रणाम करेगा, गले लग जायेगा । लेकिन भृगु ऋषि ने ऐसा कुछ नहीं किया, इसलिए ब्रह्म देव ग़ुस्सा हो गये । भृगु ऋषि वहाँ से भाग गए और शिव शंकर के पास चले गए । शिव जी को लगा अपना भाई मिलने आया है वे खुश हो गये । भृगु ऋषि ने उसका ख़याल किये बीना यहां वहां देखते रहे । शिव जी को ग़ुस्सा आया और वे उसे मारने दौडे । भृगु ऋषि भागकर वैकुण्ठ चले गये । वहाँ लक्ष्मी जी विष्णु भगवान के पाव दबा रही थी । विष्णु भगवान पहुडे थे ।
भृगु ऋषि ने विष्णु भगवान के छातीपर लाथ मारी । विष्णु भगवान ने भृगु ऋषि के पाव पकडे और बोले, ऋषि वर आपने बताया होता तो मैं आपके स्वागतके लिए आता था । आपको कष्ट उठाने पड़े, क्षमस्व । ठीक है आप यहाँ पधारे ये सौभाग्य की बात है । लेकिन आप जानते हैं कि मैं वज्रदेही हूं और आपके पावको चोट लगी होंगी । विष्णु भगवान उनके पावको मसाज करने लगे, पाव दबाने लगे । हो गयी परीक्षा ।
भृगु ऋषि सब ऋषियोके पास आ गये और बताया मै तीनोके पास गया और मुझे पता चला विष्णु भगवान ही सबसे श्रेष्ठ है ।
निर्माण और लय ये दोनों कार्य तो सामान्य रहते हैं । विष्णु भगवान परिपालन का कार्य करते हैं और उसकेलिए प्यार की आवश्यकता होती है । माता और बेटा रिश्ता कितना प्यार भरा रहता है । मै मेरी बेटी और नाती का प्यार देखता हूँ, यह महसूस करना यह सौभाग्य की बात है । पालनहार विष्णु प्यारे हैं, प्रेम है । उनके छातीपर जो लाथ लगायी भृगु ऋषि ने उसे विष्णु भगवान ने “श्री वत्सलांछन” करके आभुषण के स्वरूप महत्वपूर्ण माना है । बेटा या नाती पिता तथा दादाजी के आंगपर चाहे जहां कुदनेकी क्षमता रखते हैं ना ? जय काडसिद्ध । जय काडसिद्ध ॥
( श्री - सन्मान जनक
वत्स - छोटे बेटे
लांछन- हरकत )

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]