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Скачать или смотреть भारत विश्व गुरु क्यों है, भारत ने दुनिया को क्या दिया

  • परम सत्य का पथ
  • 2025-10-15
  • 11
भारत विश्व गुरु क्यों है, भारत ने दुनिया को क्या दिया
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Описание к видео भारत विश्व गुरु क्यों है, भारत ने दुनिया को क्या दिया

ईश्वर का परमसत्य कोई साधारण ज्ञान या विचार नहीं है, बल्कि वह अनुभव है जो बुद्धि और तर्क की सीमाओं से परे है। इसे अलग-अलग परंपराएँ और दर्शन अलग शब्दों में व्यक्त करते हैं, पर सार एक ही है।

कुछ प्रमुख दृष्टिकोण:

वेदांत दर्शन

परमसत्य ब्रह्म है — जो निराकार, अनंत ♾️, अजन्मा और अखंड है।

वही जगत का कारण और आधार है। ♾️

जीवात्मा और ब्रह्म में कोई भेद नहीं, "अहं ब्रह्मास्मि" (मैं ही ब्रह्म हूँ)। ♾️

भक्ति परंपरा

परमसत्य है — ईश्वर का सगुण रूप (जैसे कृष्ण=♾️, राम, शिव, देवी)।

प्रेम और भक्ति से जब आत्मा पूर्णतः समर्पित होती है, तभी परमसत्य का अनुभव होता है।

बौद्ध दर्शन

परमसत्य है — शून्यता (Sunyata) और निर्वाण।

सभी दृश्य जगत अनित्य हैं, जो इसे समझ लेता है वह बंधन से मुक्त हो जाता है।

योग और ध्यान परंपरा

परमसत्य आत्मा का ईश्वर से मिलन है — समाधि।

उस अवस्था में मन शून्य हो जाता है और केवल चैतन्य का अनुभव शेष रहता है।

👉 सार में:
ईश्वर का परमसत्य शब्दों या तर्क से नहीं, बल्कि अनुभव से जाना जाता है। वह सत्य है –

जो कभी बदलता नहीं,जो सबका मूल है और जो स्वयं प्रकाश है।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
अब इसे एक सरल उदाहरण से समझते हैं:

🌞 सूरज और किरणें

सूरज को मान लीजिए ईश्वर का परमसत्य (ब्रह्म)।

सूरज की किरणें हम सब जीवात्माएँ हैं।

किरण चाहे जहाँ भी पहुँचे, उसका मूल सूरज ही है।

लेकिन अगर बादल (अज्ञान, अहंकार) बीच में आ जाएँ तो किरण सूर्य से अलग-थलग लगने लगती है।

जैसे ही बादल हटते हैं, किरण और सूर्य का एकत्व स्पष्ट हो जाता है।

👉 यहाँ संदेश यह है कि आत्मा (जीव) और ईश्वर (परमसत्य) अलग नहीं, बस अज्ञान के कारण भिन्न प्रतीत होते हैं।

🌊 समुद्र और लहरें

समुद्र है परमसत्य — अनंत ♾️, गहरा और स्थिर।

लहरें हैं जीव — जन्म, मृत्यु, सुख-दुःख के उतार-चढ़ाव।

लहर चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, उसका अस्तित्व समुद्र से ही है।

लहर जब मिटती है, तो फिर से समुद्र में ही विलीन हो जाती है।

👉 इससे समझ आता है कि हम सबका मूल ईश्वर ही है, और अंततः हम उसी में मिल जाते हैं।

निष्कर्ष:
ईश्वर का परमसत्य वही है जो सदा से है, सदा रहेगा और जिससे सब उत्पन्न होता है।
हम उससे अलग नहीं हैं, बल्कि उसी का अंश हैं।

♾️=मैंने यह परमसत्य अपने व्यक्तिगत जीवन में महसूस किया है तभी मैं यह सब आपको समझा पाया और मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह आपको भी अपना परमसत्य अनुभव कराये
🙏 राधे-राधे 🙏 जय श्रीकृष्णा 🙏 R=राधाकृष्ण=10=♾️=आदि से अन्त तक एक है एक ही रहेंगे.............................. ♾️

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