3300 कि.मी. पैदल यात्रा नर्मदा परिक्रमा पूरा करके घर वापसी || संभाग शहडोल से सिर्फ अकेले

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3300 कि.मी. पैदल यात्रा नर्मदा परिक्रमा पूरा करके घर वापसी || संभाग शहडोल से सिर्फ अकेले #shahdol
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ओंकारेश्वर से यात्रा शुरू होगी, जो बड़वानी, अंकलेश्वर, मीठीतलई, भरूच, नरेश्वर, गुरुदेश्वर, सरदार सरोवर, अालीराजपुर, महेश्वर, मांडू, इंदौर, नेमावर, बरमन घाट, भेड़ाघाट, माई का बगीचा, महाराजपुर और होशंगाबाद पर जाकर समाप्त होगी। यहां से सीधे ओंकारेश्वर लाकर छोड़ा जाएगा।
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लोग नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मानते हैं। यह भारत की प्रमुख नदियों में से एक है जो ताप्ती और माही के साथ पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है। यह मध्य प्रदेश (1,077 किमी), महाराष्ट्र (74 किमी) और गुजरात (161 किमी) राज्यों से होकर बहती है।

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उल्‍टी क्यों बहती है नर्मदा

वैज्ञानिक की मानें तो नर्मदा नदी के उल्टा बहने का कारण केवल रिफ्ट वैली है. जिसका मतलब है कि नदी की ढलान विपरीत दिशा में है.
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नर्मदा नदी मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा है, परंतु इसका अधिकतर भाग मध्यप्रदेश में ही बहता है। मध्यप्रदेश के तीर्थ स्थल अमरकंटक से इसका उद्गम होता है और नेमावर नगर में इसका नाभि स्थल है। फिर ओंकारेश्वर होते हुए ये नदी गुजरात में प्रवेश करके खम्भात की खाड़ी में इसका विलय हो जाता है। नर्मदा नदी के तट पर कई प्राचीन तीर्थ और नगर हैं। हिन्दू पुराणों में इसे रेवा नदी कहते हैं। इसकी परिक्रमा का बहुत ही ज्यादा महत्व है।

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