रामायण कथा | सुंदर कांड

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   • बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुम...  
बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here -    • दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ...  

Watch the long story of "Sundae Khand story" now!

रावण की सभा में जब श्री राम और लक्ष्मण के देवता होने की बात करते हैं तो मेघनाध को क्रोध आता है और वो शत्रुओं को मारने की बात करता है। इंद्रजीत रावण से आज्ञा माँगता है की वो उन पर आक्रमण कर सके और उन्हें रात्रि में ही हमला करके मार दे।

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हनुमान जी लंका पहुँच जाते हैं और माता सीता को देख उनके समीप एक वृक्ष में छिप जाते है और माता सीता को रावण के सामने देखते हैं की वो कैसे रावण को सिंहनी की भाँति डरा रही हैं और रावण कुछ नहीं कर पा रहा था रावण सिर्फ़ माता सीता को डराना चाहता था। रावण के जान इक बाद हनुमान जी माता सीता से मिलते हैं और उन्हें श्री राम का संदेश सुनाते हैं। हनुमान जी माता सीता से मिलने के बाद उनका संदेश और उनकी निशानी के रूप में जुड़ा मणि लेकर निकल पड़ते हैं। वापस लौटने से पहले हनुमान जी रावण से मिलने की योजना बनाते हुए उसके सैनिकों को मारते हैं और और उसकी वाटिका को उजाड़ देते हैं। रावण के सैनिक रावण को सारी बात बताते हैं तो रावण का पुत्र अक्षय वहाँ आता है और हनुमान जी से युद्ध करता है हनुमान जी अक्षय को मार देते हैं। अक्षय की मृत्यु से क्रोधित होकर हनुमान जी को पकड़ने के लिए मेघनाध आता है और वो हनुमान जी को ब्रह्मास्त्र में बांध लेता हैं क्योंकि हनुमान जी स्वयं को बंदी बनाने के लिए तैयार हो जाते हैं। हनुमान जी को वरदान था की कोई भी अस्त्र शास्त्र उन्हें नुक़सान नहीं पहुँचा सकता लेकिन हनुमान जी ब्रह्मास्त्र का सम्मान करते हुए बंदी बन जाते हैं। रावण के सामने हनुमान जी लाये जाते हैं और रावण उन्हें सजा के तौर पर उनकी पूँछ में आग लगाने का आदेश देता हैं। हनुमान जी रावण को श्री राम की शक्ति के बारे में बताते हैं और माता सीता को वापस आदर सहित श्री राम के पास भेजने को कहते हैं लेकिन रावण उनकी एक नहीं सुनता। हनुमान जी की पूँछ में आग लगा दी जाती है हनुमान जी अपनी पूँछ की आग से ही सारी लंका में आग लगा देते हैं और माता सीता से मिलकर वापस लौट जाते हैं। लंका दहन उपरान्त रावण मंत्री परिषद की बैठक बुलाता है। मंत्रीगण सन्देह व्यक्त करते हैं कि विभीषण की हनुमान से मिलीभगत थी अन्यथा हनुमान द्वारा लगायी गयी आग से सभी के महल भस्म हो गये किन्तु विभीषण का घर बचा रहा। रावण का नाना माल्यवान रावण को सीता के प्रति अपना हठ त्यागने का परामर्श देता है किन्तु रावण नाना का तिरस्कार करता है। रावण मेघनाद से कहता है है कि लंका का जीर्णोद्धार करने के लिये भगवान विश्वकर्मा को आदेश दिया जाये। हनुमान सीता माता को धीरज रखने का ढाँढस बँधा कर वापस किष्किंधा को रवाना होते हैं। उधर राम चिन्तित हैं कि काफी समय बीतने के बावजूद अभी तक खोजी वानर दलों की तरफ से कोई सूचना नहीं आयी है। सुग्रीव उन्हें बताते है दक्षिण दिशा को गया दल किलकारियाँ भरता हुआ वापस आ रहा है तो कोई अच्छा समाचार लेकर ही आया होगा। जामवन्त, अंगद और हनुमान राम के समक्ष उपस्थित होते हैं। हनुमान सीता माता की दारुण दशा राम को बताते हैं। राम की आँखों में अश्रु आते हैं। हनुमान राम को सीता का सन्देश देते हैं कि यदि एक मास के भीतर वे सीता को मुक्त नहीं कराते हैं तो वे उन्हें जीवित नहीं पायेंगे। हनुमान सीता की क्षमायाचना भी लक्ष्मण तक पहुँचाते हैं। लक्ष्मण दुखी होते हैं। हनुमान सीता माता की चूड़ामणि राम को देते हैं। राम इसे देखकर भावुक होते हैं। हनुमान जयन्त प्रसंग को सुनाकर राम को विश्वास दिलाते हैं कि वे सचमुच माता सीता से मिलकर आये हैं। राम हनुमान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। हनुमान राम के चरणों पर लोट जाते हैं। राम स्नेह से रुद्रावतार हनुमान के सिर पर हाथ फेरते हैं। राम सीता को मुक्त कराने की रणनीति बनाने के लिये सुग्रीव और उसके मंत्री परिषद के साथ मंत्रणा करते हैं। सुग्रीव राम से लंका कूच करने वाली वानर दल के सेना नायक का पद सम्भालने का निवेदन करते हैं। राम सेनानायक के तौर पर लंका के सारे भेद जानने चाहते हैं और हनुमान से इसका वर्णन करने को कहते हैं। हनुमान लंका की दुर्ग संरचना से लेकर सैन्य तैयारियों व सामग्रियों का विवरण देते हैं। रामसेना के कूच की सूचना पाकर रावण आपात सभा आहूत करता है और मंत्रियों के साथ विचार विमर्श करता है। विभीषण राम को सम्मानजनक शब्दों से सम्बोधित करते हैं तो रावण क्रोधित होता है। मेघनाद चाचा विभीषण को राक्षसकुल का द्रोही कहता है।

रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी।
इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है।

Ramayan is an Indian television series based on ancient Indian Sanskrit epic of the same name. The show was originally aired between 1987 and 1988 on DD National. It was created, written, and directed by Ramanand Sagar. The show is primarily based on Valmiki's 'Ramayan' and Tulsidas' 'Ramcharitmanas'.

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