श्रीमद्भगवद्गीता || अध्याय3 श्लोक26 || अज्ञानी में बुद्धिभ्रम मत करो अर्जुन || आचर्य प्रशांत ||

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न बुद्धिभेदं जनयेदज्ञानां कर्मसङ्गिनाम् ।
जोषयेत्सर्वकर्माणि विद्वान्युक्तः समाचरन् ।26|

ज्ञानी व्यक्ति कर्म में आसक्त अज्ञानियों में बुद्धिभ्रम उत्पन्न न करें। बल्कि ज्ञानी व्यक्ति लगन से निष्काम अनुष्ठान करके अज्ञानियों को कर्म में नियुक्त रखें।

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जिस कर्मकांड और धारणों को सनातन धर्म मान बैठे हैं वो है ही नही, वास्तविक सनातन धर्म तो गीता उपनिषद..है

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