श्रीमद्भगवद्गीता | अध्याय 4 श्लोक 1 | कृष्ण के होने का प्रमाण | आचर्य प्रशांत |

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इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् ।
विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत् ।।

श्रीभगवान ने कहा मैंने इस अक्षय फल देने वाला योगको सूर्य से पहले कहा था सूर्य ने मनु से कहा था मनु ने इक्ष्वाकु को बताया

काव्यात्मक अर्थ:
ऐसा कोई काल नहीं
कृष्ण जब होते नहीं
नाम अलग संग्राम वही
गीता धार बहती रही

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जिस कर्मकांड और धारणों को सनातन धर्म मान बैठे हैं वो है ही नही, वास्तविक सनातन धर्म तो गीता उपनिषद..है

आचार्य प्रशान्त के द्वारा जो हम सबों को शिक्षा / दीक्षा दी जाती है उसको मैं यह पे शेयर करता है।

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