श्रीमद्भगवद्गीता || अध्याय3 श्लोक23 || मन बाहर देखता है सिर्फ कृष्ण की तालाश में || आचर्य प्रशांत ||

Описание к видео श्रीमद्भगवद्गीता || अध्याय3 श्लोक23 || मन बाहर देखता है सिर्फ कृष्ण की तालाश में || आचर्य प्रशांत ||

यदि ह्यहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रितः ।
मम वानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः |23|

पार्थ जैसे तुम कह रहे हो कि युद्ध नहीं करूँगा, वैसे ही अगर मैंने कर्म करना छोड़ दिया तो बताओ तुम्हारा और बाकी सब का क्या होगा?

#acharyaprashant
#shreemadbhagwadgita
#gitarakustik
#gita
#shreemadbhagwadgita


जिस कर्मकांड और धारणों को सनातन धर्म मान बैठे हैं वो है ही नही, वास्तविक सनातन धर्म तो गीता उपनिषद..है

आचार्य प्रशान्त के द्वारा जो हम सबों को शिक्षा / दीक्षा दी जाती है उसको मैं यह पे शेयर करता है।

अगर आप सबों को भी आचार्य प्रशान्त से जीवन जीने के बहुमूल्य उपयोगी दर्शन , श्री मद्भागवत गीता, अष्टवक्र गीता, उपनिषद सीखना है तो उनके गीता समागम सत्र से जुड़े, जीवन में आप अलग आनंद महसूस कीजिएगा।

समागम सत्र से जुड़ने के लिए आचार्य प्रशान्त का app download करें
https://play.google.com/store/apps/de...

Visit Site-
https://acharyaprashant.org/

Комментарии

Информация по комментариям в разработке