Sangat Ep.40 | Priyamvad on Fiction, Life, Love, Kanpur, Gandhi, Muslim & Morality | Anjum Sharma

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हिंदी साहित्य-संस्कृति-संसार के व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार से जुड़ी सीरीज़ ‘संगत’ के 40वें एपिसोड में मिलिए समादृत कथाकार और इतिहासकार प्रियंवद से। 22 दिसम्बर 1942 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे प्रियंवद 'प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति' में परास्नातक हैं। 'भारत विभाजन की अन्तः कथा', 'भारतीय राजनीति के दो आख्यान', 'पाँच जीवनियाँ' और 'इकतारा बोले' इतिहास लेखन की उनकी चर्चित कृतियाँ हैं। 'छुट्टी के दिन का कोरस', 'एक अपवित्र पेड़' और 'परछाई नाच' उनके प्रमुख कथा-संग्रह हैं। प्रियंवद हिंदी के अनूठे कथाकार हैं, लेखन के साथ-साथ वह प्रतिष्ठित पत्रिका 'अकार' का कई वर्षों से नियमित संपादन और प्रकाशन भी कर रहे हैं। इस एपिसोड में अंजुम शर्मा से बात करते हुए वह क्यों कहते हैं कि लेखक की एनाटॉमी जटिल होती है? क्या यातना लेखक का अनिवार्य तत्व है? मृत्यु उन्हें आकर्षित क्यों करती है? मृत्यु को वह ख़ूबसूरत क्यों मानते हैं? वह क्यों कहते हैं कि ''आपको मेरी कहानियों में आपको सकारात्मक पक्ष नहीं दिखेगा?''
प्रियंवद अब प्रेम कहानियाँ क्यों नहीं लिखते? क्या उनके लेखन पर निर्मल वर्मा का प्रभाव है? उनके कहानियों के पात्र प्रायः बीमार क्यों रहते हैं? वह क्यों मानते हैं कि धर्म, समाज और राज्य किसी व्यक्ति को स्वतंत्रता नहीं दे सकते? बक़ौल प्रियंवद—वैधता और नैतिकता आदमी को ग़ुलाम बनाती हैं। ख़ुद को दावे से जेनुइन लेखक कहने वाले प्रियंवद प्रेम और देह के संबंध में विचार प्रकट करते हुए क्या कहते हैं? मज़दूरों के लिए संघर्ष करें वाले प्रियंवद की कहानियाँ मज़दूर-प्रसंग से अछूती कैसे रह गईं? उनका अंतर्जगत रोज़ कैसे बदलता है? मार्क्सवाद का उनपर कितना प्रभाव है?
कौन-सी कहानी लिखने में उन्हें अवसाद का सामना करना पड़ा? 'फागुन की उपकथा' कहानी में उन्होंने किन सवालों को बुनने और सुलझाने का प्रयास किया? इतिहास उन्हें साहित्य से ज़्यादा प्रिय क्यों हैं? कहानियों के प्रेम में इतिहास-लेखन उनसे कैसे छूटा? किससे मिलने के बाद उनकी इतिहास की समझ साफ़ हुई? इस बात से प्रियंवद का क्या अभिप्राय है कि ''आज़ादी के बाद भारत के मुसलमानों ने गांधी को ना अपनाकर ग़लती की?'' मुस्लिम पुनर्जागरण पर वह सवाल क्यों उठाते हैं? या मुस्लिम समाज से उन्हें क्या शिकायत है? ...और उन्हें हिंदी लेखकों से क्या शिकायत है? उन्होंने कविताएँ लिखनी क्यों छोड़ दी? संगमन-आयोजन में उन्हें क्या मुसीबतें झेलनी पड़ी/पड़ती है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब और प्रियंवद के निजी जीवन से लेकर उनके रचना-संसार को जानने-समझने के लिए देखिए अंजुम शर्मा के साथ संगत का यह रोचक एपिसोड।

संगत के अन्य एपिसोड्स देखने के लिए दिए गये लिंक पर जाएँ :    • संगत  

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